ओलावृष्टि से बाजारों में शोर मच गया। बड़े-बड़े ओलों से बचने के लिए लोग पेड़ों और पक्के निमार्ण की शरण में छिप गए। लोगों को सिर में चोट लगने का डर सता रहा था। दस मिनट तक हुई ओलावृष्टि में लगभग डेढ़ इंच के व्यास के बड़े-बड़े ओले पहली बार देखे गए।
दिन का अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस के पार जाने के बाद 12 मई शाम से मौसम बदला है। देर रात तेज आंधी के साथ बारिश हुई। 13 मई शाम पौने पांच बजे के करीब बूंदाबांदी के साथ अचानक ओलावृष्टि शुरू हो गई। जिले के पिसावा, चंडौस, इगलास, लोधा और नगला जुझार सहित अन्य कुछ स्थानों पर लगभग दस मिनट तक ओलावृष्टि हुई। तकरीबन डेढ़ इंच व्यास के बड़े बड़े ओले गिरे। इससे भीषण गर्मी से राहत मिली है।
कृषि विभाग के अनुसार ओलावृष्टि से फसलों को कोई नुकसान होने की कोई सूचना नहीं है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार 14 मई को आसमान साफ रहेगा। ओलावृष्टि से बाजारों में शोर मच गया। बड़े-बड़े ओलों से बचने के लिए लोग पेड़ों और पक्के निमार्ण की शरण में छिप गए। लोगों को सिर में चोट लगने का डर सता रहा था। दस मिनट तक हुई ओलावृष्टि में लगभग डेढ़ इंच के व्यास के बड़े-बड़े ओले पहली बार देखे गए। सड़कों पर कई जगह ओले फैल गए।
गोंडा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रविकरन सिंह ने बताया कि अचानक हुई ओलावृष्टि से पशुओं को हल्की फुल्की चोटें आईं है। वहीं मक्का, बाजरा, खीरा की फसलों में आंशिक नुकसान हुआ है। इतने बड़े आकार के ओलों के साथ ओलावृष्टि क्षेत्र में बहुत कम बार देखी गई है। इधर, जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया कि ओलावृष्टि से फसलों को कोई नुकसान की सूचना नहीं मिली है। एडीएम फाइनेंस एवं जिला आपदा प्रभारी अधिकारी मीनू राणा ने बताया कि फसलों में किसी नुकसान या कोई जनहानि की सूचना नहीं हैं। जिले से तहसीलवार सूचनाएं एकत्र कराई जा रहीं हैं।