गोयल ने कहा कि चार साल सत्ता का सुख भोगने के बाद मुख्यमंत्री अपनी नाकामयाबी को छिपाने के लिए दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं। एक्शन प्लान तो मुख्यमंत्री ने पेश किया, लेकिन नारेबाजी और धरने के अलावा कुछ भी नहीं किया। दिल्ली में ना तो सीसीटीवी लगी व ना ही मुफ्त वाई-फाई मिली। नए अस्पताल, डीटीसी बसें, नए कॉलेज, प्रदूषण से मुक्ति, अनधिकृत कालोनियों को नियमितीकरण समेत सभी वायदे आज भी अधूरे हैं।
गोयल ने कहा कि हम पूर्ण राज्य के दर्जे के हिमायती हैं, पर जो मुख्यमंत्री गणतंत्र दिवस की परेड रोकने का काम करता हो, केंद्र सरकार और एमसीडी से हर समय झगड़ता हो, उसके हाथ में कैसे यह अधिकार दिया जा सकता है। गोयल ने कहा कि अराजकतावादी मुख्यमंत्री के रहते दिल्ली को पूर्ण राज्य मिलना खतरे से खाली नहीं है। वह अधिकारों का दुरुपयोग करेंगे। मुख्यमंत्री भी जानते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय पहले ही फैसला कर चुका है कि दिल्ली एक यूनियन टैरिटरी है, जहां केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार रहेंगे। ऐसे में उनका पूर्ण राज्य का दर्जा मांगना केवल चुनावी ढकोसला है।