राममंदिर निर्माण के लिए तराशे गए एक लाख घन फीट पत्थरों के अतिरिक्त अभी और एक लाख घन फीट पत्थर चाहिए। यह पत्थर राजस्थान के भरतपुर जिले से आने हैं, जिन्हें सुरक्षित कर लिया गया है। मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का कार्य 65 फीसद हो चुका है, लेकिन अभी भी मंदिर की ऊपरी छत और शिखर आदि हिस्सों के लिए पत्थरों की तराशी होना बाकी है। एक लाख घन फीट पत्थरों के साथ उन्हें आकार देने के लिए दो सौ कारीगरों की आवश्यकता है। पत्थरों को यहां लाने से पहले न्यास कार्यशाला में उन्हें रखने के लिए जगह बनानी है, क्योंकि कार्यशाला में पहले से तराशे गए पत्थरों की भरी-पूरी श्रृंखला मौजूद है। ऐसे में और नई शिलाओं को यहां लाने से पहले पूर्व में तराशे गए पत्थरों को उनके यथास्थान पहुंचाने का इंतजार हो रहा है।
विहिप से जुड़े स्थानीय जिम्मेदारों की माने तो प्रयागराज में होने जा रही केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के संतों की बैठक मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी की दिशा भी तय करेगी। अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण रामजन्मभूमि न्यास के मॉडल पर ही होगा। इसे लेकर न्यास और विहिप दोनों ही नि¨श्चत हैं। न्यास कार्यशाला की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
मार्गदर्शक मंडल की बैठक 20 को
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए अभी एक लाख घन फिट पत्थर और आने हैं। पत्थर भरतपुर में रखे गए हैं, जबकि मजदूरों की व्यवस्था की जा रही है। 20 जनवरी को प्रयागराज में होने जा रही विहिप के मार्गदर्शक मंडल की बैठक इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी।