छह दिसंबर यानी शुक्रवार को बाबरी विध्वंस की 27वीं बरसी है, जिसके मद्देनजर अयोध्या में पुलिस को हाईअलर्ट पर रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई थी. हालांकि इस दौरान किसी तरह की कोई हिंसा देखने को नहीं मिली थी.
वहीं, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. पक्षकार एम सिद्दीकी ने 217 पन्नों की पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जिसमें मांग की कि संविधान पीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें कोर्ट ने विवादित जमीन को राम मंदिर के पक्ष दिया था.
इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की गई कि वह केंद्र सरकार को राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने से रोके. याचिका में दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1934, 1949 और 1992 में मुस्लिम समुदाय के साथ हुई ना-इंसाफी को गैरकानूनी करार दिया है. साथ ही इसको नजरअंदाज भी किया है. याचिका में कहा गया कि इस मामले में पूर्ण न्याय तभी होता जब मस्जिद का दोबारा से निर्माण होगा.