ईरान की यह हरकत पहली दफा नहीं है, जब किसी देश की सेना ने एक यात्री विमान को मार गिराया हो। इससे पहले ईरान के यात्री विमान ईरान एयर फ्लाइट 655 को तीन जुलाई 1988 के दिन अमेरिकी नौ सेना ने अपनी मिसाइल से निशाना बनाया था। उस दुखद हादसे में भी सभी सवार 290 यात्री मारे गए थे।

ईरानी मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया था
मरने वालों में 238 ईरानी, 16 क्रू सदस्य, 13 यूएई, 10 भारतीय, छह पाकिस्तानी, छह यूगोस्लावियाई और एक इटली के नागरिक थे। मृतकों में 66 बच्चे भी थे। अमेरिका ने इस घटना के लिए कभी माफी नहीं मांगी, केवल 6.18 करोड़ डॉलर बतौर मुआवजा ईरानी पीड़ित परिजनों को चुकाए थे। ईरान ने इस हमले पर डाक टिकट भी जारी किया था। वहीं
बुश ने कहा, मैं माफी नहीं मांगूंगा।
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण अमेरिका के तत्कालीन उपराष्ट्रपति एचडब्ल्यू बुश का बयान था। राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन द्वारा घटना पर माफी मांगने के बावजूद साल 1988 में बुश ने कहा था कि वे इस घटना केे लिए अमेरिका की ओर से कभी माफी नहीं मांगेगे। उन्हें परवाह नहीं कि तथ्य क्या हैं, वे माफी मांगने वाले व्यक्ति नहीं हैं।
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