अमेरिकी चेतावनियों के बावजूद एक भारतीय कंपनी ने सैन्य उपयोग के लिए 14 लाख डॉलर मूल्य का विस्फोटक रूस भेजा। गौरतलब है कि अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन करने वाली किसी भी संस्था पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी।
विस्फोटक सेंट पीटर्सबर्ग में उतारे गए थे
समाचार एजेंसी ने तेलंगाना स्थित भारतीय कंपनी आइडियल डेटोनेटर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दिसंबर में भेजे गए दो एचएमएक्स शिपमेंट की पहचान की है। भारतीय सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार विस्फोटक सेंट पीटर्सबर्ग में उतारे गए थे। शिपमेंट की जानकारी रखने वाले भारतीय सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की।
दूसरी खेप प्रोमसिनटेज ने खरीदी
10 लाख डॉलर मूल्य की खेप हाई टेक्नोलाजी इनिशिएशन सिस्टम्स नामक रूसी कंपनी ने खरीदी थी। 10 लाख डॉलर से अधिक मूल्य की दूसरी खेप प्रोमसिनटेज ने खरीदी। दोनों कंपनियां कजाकिस्तान की सीमा के पास समारा ओब्लास्ट में स्थित हैं।
यूक्रेन की एसबीयू सुरक्षा सेवा के अधिकारी ने कहा कि प्रोमसिनटेज का संबंध देश की सेना से है। पेंटागन के रक्षा तकनीकी सूचना केंद्र के अनुसार, मिसाइल और टारपीडो वारहेड, राकेट और उन्नत सैन्य प्रणालियों के लिए विस्फोटकों के तौर पर एचएमएक्स का उपयोग किया जाता है।
अमेरिकी सरकार ने कही ये बात
अमेरिकी सरकार ने एचएमएक्स को रूस के युद्ध प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण बताया है, हालांकि भारतीय अधिकारी ने बताया कि इस यौगिक के कुछ सीमित नागरिक उपयोग भी हैं। रूसी कंपनियों को एचएमएक्स की बिक्री की सूचना पहले नहीं दी गई थी।
डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी धमकी
गौरतलब है कि भारत ने दबावों के बावजूद रूस के साथ अपने दीर्घकालिक सैन्य और आर्थिक संबंधों को बनाए रखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर कोई देश रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखता है, तो उस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। इसके बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीदना भी कम नहीं किया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत परमाणु अप्रसार पर अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं का निर्यात कर रहा है। यह निर्यात मजबूत कानूनी और नियामक ढांचे पर आधारित है।
अमेरिका प्रतिबंध लगाने की बात करता रहा है
अमेरिकी विदेश विभाग ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि उसने भारत को बार-बार सूचित किया है कि रूस के सैन्य औद्योगिक अड्डे के साथ व्यापार करने वाली किसी भी विदेशी कंपनी या वित्तीय संस्था पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाया जा सकता है।