विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी में चल रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि यह कोई सवाल नहीं है कि दुनिया अधिक राष्ट्रवादी हो गई है। अमेरिका, चीन और दुनिया के कई देश अधिक राष्ट्रवादी हैं। इस राष्ट्रवाद का बहुत कुछ वैधानिक रूप से मान्य है। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 14 फरवरी को शुरू हुआ है और यह 16 फरवरी तक चलेगा।
जयशंकर ने आगे कहा कि ऐसे भी देश हैं जहां यह एक सकारात्मक मुखर राष्ट्रवाद है। कई मामलों में यह अधिक असुरक्षित राष्ट्रवाद है। तथ्य यह है कि एक ज्यादा राष्ट्रवादी दुनिया स्पष्ट रूप से एक कम बहुपक्षीय दुनिया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर इतिहास पर गौर करे तो संयुक्त राष्ट्र को लेकर लोगों के विश्वास में कमी आई है। यह आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो बहुत सारी चीजें वैसी नहीं हैं जो 75 साल पहले थी और अभी भी उतनी ही अच्छी है जितनी वह थी। स्पष्ट रूप से कहा जाए तो वहां कुछ सकरने की जरूरत है।
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा कश्मीर के हालात पर चिंता जताने पर जयशंकर ने कहा कि चिंता मत कीजिए। एक लोकतंत्र है जो इसे सुलझा लेगा और आप जानते हैं कि वह देश कौन सा है? इससे पहले ग्राहम ने कहा था कि कश्मीर से लौटने के बाद यह समझ नहीं पाया कि वहां जारी लॉकडाउन कब खत्म होगा। दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) को यह आश्वस्त करना होगा कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का एक बड़ा मंच हैं जहां दुनिया भर के नेता और राजनयिक अहम मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं। इसकी शुरुआत 1962 में जर्मन सैन्य अधिकारी एवाल्ड फोन क्लाइस्ट ने की थी।
क्लाइस्ट वही सैन्य अधिकारी हैं जिन्होंने तानाशाह एडोल्फ हिटलर की हत्या की योजना बनाई थी। बाद में वह प्रकाशक बन गए थे। शीत युद्ध के जमाने में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन को वेरकुंडे कांफ्रेंस के नाम से जाना जाता था।