कुरैशी ने तेहरान से आग्रह किया कि वह अमेरिका द्वारा सुलेमानी के मारने की जवाबी कार्रवाई की तरफ कोई कदम बढ़ाने से परहेज करे। गौरतलब है कि कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने धमकी दी है कि वह इस हमले का जवाब देगा। इस हमले को भुलाया नहीं जा सकता है।
इसे देखकर ईरान कब क्या कदम उठा ले कुछ कहा नहीं जा सकता है। वहीं, दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद ईरान ने खुलेतौर पर इस बात की घोषणा कर दी है कि वो साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत लागू की गई किसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा।
पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री कुरैशी ने सुलेमानी की हत्या की पृष्ठभूमि में क्षेत्रीय स्थिति और इस विषय पर पाकिस्तान की नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ होने वाले युद्ध के लिए नहीं किया जाएगा और हम किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी किसी भी एकपक्षीय कार्रवाई के खिलाफ है और क्षेत्र में तनाव कम करने की भूमिका निभाएगा।
इस बीच अमेरिकी हवाई हमले में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद हालात बिगड़ गए हैं। इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस बात का भरोसा है कि वह ईरान के साथ 2015 में किए गए परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत कर सकते हैं।
गौरतलब है कि ईरान ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है लेकिन संदेह ये था कि परमाणु बम विकसित करने का कार्यक्रम था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने मिलकर 2010 में ईरान पर पाबंदी लगा दी। साल 2015 में ईरान ने छह देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ एक समझौता किया। इस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित किया, बदले में उसे पाबंदी से राहत मिली थी।
इस समझौते के तहत ईरान को यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम रोकना पड़ा। ये रिएक्टर ईंधन बनाने के लिए इस्तेमाल होता है और इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में भी होता है। 2015 के समझौते के अनुसार, ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को आने की अनुमति दी थी, इसके बदले में ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म किया गया था।