अमृतसर सेंट्रल जेल की दीवार तोड़कर तीन कैदियों के फरार होने से पंजाब पुलिस में मचा हड़कंप

शहर के फताहपुर स्थित केंद्रीय जेल की बैरक की दीवार तोड़कर तीन कैदियों के फरार होने की घटना से पंजाब पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने सात पुलिसकर्मियों को सस्‍पेंड कर दिया है। फरार कैदियों की तलाश में विभिन्‍न स्‍थानों पर पुलिस टीमें छापे मार रही हैं, लेकिन अभी तक उनका कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। इस घटना से पटियाला के नाभा जेल ब्रेक की घटना ताजा हो गई है। सीएम ने घटना की न्यायिक जांच जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर बी. पुरुषार्था को सौंपी है।

15 दिनों से तोड़ रहे थे दीवार, सूचना  के बावजूद नहीं उठाया कदम, जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर करेंगे जांच

बता दें कि अमृतसर सेंट्रल जेल से शनिवार रात डेढ़ बजे तीन विचाराधीन कैदी बैरक की दीवार तोड़ कर फरार हो गए थे। पुलिस और जेल प्रशासन को घटना की जानकारी 3.20 पर मिली। भागने वालों में दो सगे भाई हैं। वहीं,  इस बैरक में कुल 61 कैदी थे।

बताया जाता है कि तीनों विचाराधीन आरोपित अहाता नंबर 2 की बैरक नंबर 7 में बंद थे। तीनों करीब 15 दिन से धीरे-धीरे दीवार तोड़ रहे थे। एक कैदी ने जेल कर्मियों को इसकी सूचना भी दी थी। आरोप है जेलकर्मियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। घटना के बारे में जानकारी मिलने के बाद रविवार सुबह एडीजीपी जेल पीके सिन्हा मौके पर पहुंचे और सुरक्षा का जायजा लिया। जिला पुलिस तीनों आरोपितों की तलाश में जुट गई है। पूरे शहर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। आरोपितों के घरों पर भी नजर रखी जा रही है।

ये कैदी हुए फरार

ये विचाराधीन कैदी हुए फरार।

-गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी (34) चंडीगढ़ रोड, खडूर साहिब (लूटपाट व आर्म्‍स एक्ट में गिरफ्तार। 8 जुलाई से जेल में बंद था।)

-जरनैल सिंह उर्फ प्रिंस (25) चंडीगढ़ रोड, खडूर साहिब (लूटपाट व आर्म्‍स एक्ट में गिरफ्तार। 8 जुलाई से जेल में बंद था।)

-विशाल कुमार (22) अरा कॉलोनी, मजीठा रोड, अमृतसर (2 अप्रैल, 2019 को पोस्को एक्ट की धारा 376 के अंतर्गत केस दर्ज है। 5 अप्रैल से जेल में बंद था।)

इनको किया सस्पेंड

-पुरुषोत्तम लाल, अस्सिटेंट सुपरिंटेंडेंट जेल (रात को ड्यूटी पर तैनात थे)।

-ज्ञान सिंह, अस्सिटेंट सुपरिंटेंडेंट जेल, (बैरक के इंचार्ज)।

-सुबेघ सिंह, वार्डर।

-कुलवंत सिंह, वार्डर।

-हीर सिंह, वार्डर।

-शमशेर सिंह, वार्डर।

-कश्मीरसिंह, होमगार्ड जवान।

ऐसे भागे..

पहले सरिये से बैरक की ईंटें निकालीं, फिर पगड़ी के सहारे दीवार फांद भाग निकले

आरोपितों ने जेल के अंदर से ही एक सरिया  हासिल किया था। इसे नुकीला कर आरोपित अपनी बैरक की दीवार को रात के समय धीरे-धीरे तोड़ते रहे। 15 दिनों में 10 ईंटें निकाल कर एक छेद बना लिया। बैरक की दीवार तोड़ने के बाद शनिवार रात को तीनों बैरक से बाहर आए। पहले वे अंदरूनी दीवार कूदे जो 16 फीट ऊंची है। इसके बाद सरिये के आगे हुक बनाकर उसके साथ पगड़ी और रजाई का कवर बांध दिया। इसके बाद 21 फीट ऊंची मुख्य दीवार तक पहुंचे। फिर एक-दूसरे के कंधों पर चढ़े और हुक के साथ बंधी पगड़ी को बाहर की तरफ फेंक कर अटका दिया। इसके बाद टावर नंबर 10 के पास पगड़ी के सहारे तीनों जेल की मुख्य दीवार फांद कर भाग निकले।

अन्य कैदियों ने किया था आगाह

अन्य कैदियों ने जेल गार्डों को इन विचाराधीन कैदियों के भागने के बारे में सचेत किया था। इनमें फरार हुए कैदी में से एक का भाई भी शामिल है। मुख्यमंत्री ने एडीजीपी (जेल) को राज्य की सभी जेलों की सुरक्षा चौकस करने और आरोपितों को जल्द पकड़ने के आदेश दिए हैं। साथ ही सुरक्षा की समीक्षा करने को कहा है।

सीसीटीवी की निगरानी में नहीं था टावर नंबर 10

डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि जिस जगह से आरोपित बाहर कूदे, वह टावर नंबर 10 के पास है। यह सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में नहीं है। भागने वाले विशाल का भाई गौरव भी उसी बैरक में था, लेकिन उसने भागने से इन्कार कर दिया।

नाभा जेल से भी भागे थे कैदी

27 नवंबर, 2016 को 14 हमलावरों ने पटियाला की नाभा जेल पर हमला कर दो आतंकियों व चार गैंगस्टरों को जेल से छुड़ा लिया था। आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू 28 नवंबर को दिल्ली में पकड़ा गया था। बाद में उसकी मौत हो गई थी।

पांच बड़ी चूक

1. जेल में 193 वार्डर तैनात हैं। सीआरपीएफ जवान भी तैनात हैं। इसके बावजूद भागने में कामयाब रहे।

2. जेल पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह हर 6 घंटे के बाद बैरक चेक करे। 15 दिन से बैरक से ईंटें निकाली जा रही थीं, लेकिन जेलकर्मियों को पता ही नहीं जला।

3. हर 200 मीटर पर एक सुरक्षा टावर है। इस 24 घंटे एक मुलाजिम तैनात रहता है। वह हर हलचल पर नजर रखता है, लेकिन उसे भी पता नहीं चला।

4. तीनों आरोपित टावर नंबर 10 के करीब से दीवार फांद कर भागे। वहां पंजाब होमगार्ड के कर्मचारी कश्मीर ङ्क्षसह की डयूटी थी। वह रात भर सोया रहा।

5. टावर नंबर 10 सीसीटीवी की निगरानी में नहीं था। इससे कंट्रोल रूम को भी इसकी जानकारी नहीं मिली।

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गुरप्रीत ने रची थी जेल ब्रेक की साजिश

जेल ब्रेक की सारी साजिश गुरप्रीत ने रची थी। बताया जाता है कि जेल पहुंचने पर गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी ने अपने भाई के साथ मिलकर बैरक में बंद अन्य कैदियों को टटोलना शुरू कर दिया था। इसी दौरान गुरप्रीत को लगा कि विशाल शर्मा ही केवल उसके काम आ सकता है। इसके बाद इन्होंने फरार होने की साजिश रची। अभी तक की पुलिस जांच में सामने आया है कि गुरप्रीत ही इस पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड है। अमृतसर जेल राज्य की सबसे हाईटेक जेलों में से एक है। यहां पर 3250 कैदियों व विचारधीन कैदियों को रखा गया है।

गौरव ने किया भागने से इन्कार

रात को जब तीनों आरोपित भागने लगे तो उनके साथ मौजूद गौरव ने जाने से इन्कार कर दिया। गौरव ने कहा कि वह पहले ही एक अपराध के मामले में जेल में पहुंच गया है। अब वह दूसरा अपराध नहीं करना चाहता। इसलिए वह जेल से नहीं भागेगा। इतनी बात होने पर बाकी आरोपित तुरंत वहां से फरार हो गए।

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पुलिस की खडूर साहिब में दबिश

खडूर साहिब (तरनतारन): अमृतसर जेल से भागे दो कैदी तरनतारन जिले के खडूर साहिब के रहने वाले हैं। जेल से फरार हुए इन दो भाइयों का पता लगाने लिए अमृतसर की विशेष टीम ने कस्बा खडूर साहिब में दबिश दी, लेकिन पुलिस उनके घर तक नहीं पहुंच पाई। रात को पता चला कि यह परिवार अब तरनतारन में रहता है। इसके बाद पुलिस ने घर की तलाशी ली औ रआरोपितों के परिवार से पूछताछ की।

गुरप्रीत सिंह गोपी और जरनैल सिंह दोनों सगे भाई हैं और तीन साल पहले अपराध की दुनिया से जुड़े थे। अमृतसर से पुलिस की विशेष टीम थाना गोइंदवाल साहिब पहुंची। स्थानीय पुलिस को साथ लेकर जब आरोपितों के घर दबिश दी जानी थी, लेकिन खडूर साहिब पुलिस चौकी इंचार्ज के पास ऐसा रिकॉर्ड ही नहीं। इससे पता चलता कि आरोपित जरनैल सिंह व गुरप्रीत सिंह गोपी का परिवार किस क्षेत्र में रहता है।

आखिर शाम सात बजे यह पता चला कि आरोपितों के घर में आए दिन पुलिस छापामारी होती थी। इसी से बचने लिए उनका परिवार खडूर साहिब से तरनतारन के मोहल्ला नानकसर में शिफ्ट हो गया है। डीएसपी रैैंक के अधिकारी की अगुआई में पुलिस टीम ने आरोपितों के घर में छापामारी की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। आरोपितों की मां बलविंदर कौर व पिता सुखदेव सिंह ने दावा किया कि उसके दोनों लड़के बेकुसूर हैं। पुलिस उन्हें बेवजह परेशान कर रही है।

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