अजनाला थाने पर हमले के आरोपी और अमृतपाल के सहयोगी शिव कुमार व भूपिंदर सिंह की जमानत याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भीड़ के बल पर किसी भी नागरिक का न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और कानून को हाथ में लेना पूरी तरह अस्वीकार्य है। कोर्ट ने कहा कि आरोप बेहद गंभीर हैं और ऐसे में याचिकाकर्ताओं की आठ माह से हिरासत में होने की दलील स्वीकार कर उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
याचिका दाखिल करते हुए अजयपाल सिंह उर्फ शिव कुमार और बलविंदर सिंह उर्फ शेरू ने हाईकोर्ट को बताया कि जिस घटना को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, घटना के दिन तो वे अजनाला में थे ही नहीं। उन्हें एक अन्य आरोपी के बयान के आधार पर बिना इन तथ्यों पर गौर किए नामजद कर लिया गया। साथ ही एफआईआर दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई है, क्योंकि घटना 23 फरवरी को दोपहर दो बजे हुई थी और एफआईआर 24 फरवरी को रात 9:50 बजे दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी तर्क दिया कि पंजाब पुलिस की किसी भी तस्वीर और वीडियो में दोनों मौजूद नहीं है।
जांच जल्द पूरा करने का आदेश
पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि दोनों ने अमृतपाल सिंह का सहयोगी होने का दावा किया था, जिसने पंजाब के युवाओं को गुमराह करने के लिए भड़काऊ बयान दिया था। साथ ही दिलावर सिंह जैसे मानव बम के माध्यम से मुख्यमंत्री की हत्या को भी उचित ठहराया था। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं से बरामद हथियारों और संबंधित सामग्री का भी हवाला दिया गया।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराधों की गंभीरता को देखते हुए केवल इस आधार पर याची को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता कि वे आठ माह से जेल में हैं। साथ ही जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि जांच को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि निचली अदालत जल्द से जल्द मुकदमे को समाप्त कर सके।
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