अमित शाह ने कहा कि देश में सवा सौ वर्ष पुराना सहकारिता आंदोलन क्षीण हो गया था। कानून अप्रासंगिक हो गए थे। अब पांच ट्रिलियन डालर वाली अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में सहकारिता की भागीदारी सुनिश्चित कर इसे 21वीं सदी में पहुंचाना है। यह विकसित भारत के विजन को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र का लक्ष्य दो लाख नए पैक्स बनाने का है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहारा समूह की सहकारी समितियों के डेढ़ करोड़ निवेशकों का निबंधन हो चुका है। इनमें ढाई लाख लोगों के 241 करोड़ रुपये वापस भी मिल गए हैं।
सहकारिता क्षेत्र में पारदर्शिता और आधुनिकता लाने का वादा करते हुए अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार में नए कानून, नए आफिस और नई पारदर्शी व्यवस्था के साथ सहकारिता क्षेत्र में नए युग की शुरुआत हुई है। अमित शाह बुधवार को नई दिल्ली में सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक कार्यालय (सीआरसीएस) के नए भवन का उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
अमित शाह ने सहकारिता की जरूरत की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह क्षेत्र विश्वसनीयता खो देगा तो विस्तार तो होगा ही नहीं, अस्तित्व का संकट भी आ जाएगा। मोदी सरकार के पांच ट्रिलियन इकोनामी के लक्ष्य में इस क्षेत्र की बड़ी भागीदारी होगी।
उन्होंने कहा कि सहकारिता का ही चमत्कार है कि गुजरात में 36 लाख परिवार पशुपालन कार्य से जुड़े हैं। इनका सालाना टर्नओवर 60 हजार करोड़ रुपये हैं। आज जब पैक्स के माध्यम से ड्रोन दीदियां खेतों में ड्रोन से छिड़काव करती हैं तो लोगों में विश्वास जगता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था आधुनिकता से जुड़ रही है।
तीस महीने में 60 बड़े निर्णय लिए गए
सहकारिता मंत्रालय के दो वर्षों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा कि तीस महीने में 60 बड़े निर्णय लिए हैं, जिनसे ग्रामीण अर्थतंत्र को मजबूती मिलेगी। मंत्रालय के गठन के दो वर्षों के भीतर ही मल्टीस्टेट को आपरेटिव सोसायटी एक्ट में परिवर्तन किया गया। समितियों के संचालन में आने वाली विसंगतियों को दूर करने के लिए कानून बनाकर पारदर्शी खाका तैयार किया गया।
मल्टीस्टेट को आपरेटिव सोसायटी से जुड़े लोग मध्यम, उच्च एवं गरीब तबके के हैं। सुविधाएं देकर करोड़ों गरीबों के जीवन को बहुत सरल बना दिया गया है। इन गरीबों को पूंजी के बिना देश के विकास में योगदान देने में सक्षम बनाने की क्षमता सिर्फ सहकारिता में है।
अमित शाह ने कहा कि देश में सवा सौ वर्ष पुराना सहकारिता आंदोलन क्षीण हो गया था। कानून अप्रासंगिक हो गए थे। अब पांच ट्रिलियन डालर वाली अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में सहकारिता की भागीदारी सुनिश्चित कर इसे 21वीं सदी में पहुंचाना है। यह विकसित भारत के विजन को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र का लक्ष्य दो लाख नए पैक्स बनाने का है। अभी 12 हजार से ज्यादा पंजीकृत हो चुके हैं। समयपूर्व इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
उर्वरक क्षेत्र में आई नई क्रांति
उर्वरक क्षेत्र में नई क्रांति का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि इफ्को ने नैनो डीएपी और नैनो यूरिया लिक्विड बनाया है। इसे कम समय में खेतों तक पहुंचा दिया है। इस वक्त इसकी बहुत जरूरत है, क्योंकि उपज के लिए भूमि संरक्षण जरूरी है। गांवों में सबसे ज्यादा आकर्षण ड्रोन द्वारा लिक्विड यूरिया के छिड़काव के प्रति देखा जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान ‘कलेक्टिव प्रोस्पेरिटी: दि लिगेसी आफ इंडियन को-आपरेटिव’ नाम की पुस्तक का विमोचन किया और कहा कि यह पुस्तक सहकारिता क्षेत्र में आत्मविश्वास भरने में सहायक होगी। मौके पर सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा भी मौजूद थे।