समुद्र तल से करीब 13000 फीट पर स्थापित अमरनाथ की पवित्र गुफा में इस बार हिमलिंग मोटे आकार के बजाय 12 फीट के पतले आकार में स्थापित हैं।

वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार उनके सिर पर सर्प का फन भी स्थापित हुआ है। बताया जा रहा है कि ऐसी छवि काफी लंबे अर्से बाद देखने को मिली है, जिसे बहुत ही शुभ माना जा रहा है।
इस बीच श्रीनगर से पहलगाम के लिए आज प्रात: छह बजे छड़ी मुबारक यात्रा रवाना हुई। इस दौरान बाबा अमरनाथ के जयकारों से श्रीनगर गूंज उठा। कोरोना महामारी के मद्देनजर 21 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा में इस बार विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
साधु-संतों के अलावा 55 साल से कम उम्र के श्रद्धालुओं को ही यात्रा की इजाजत दी गई है। बच्चे और बुजुर्ग इस बार बाबा बर्फानी के दर्शन नहीं कर सकेंगे। जम्मू से रोजाना 500 श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए सड़क मार्ग से भेेजे जाएंगे।
छड़ी मुबारक यात्रा करीब 100 साधु-संतों और अन्य लोगों के साथ दशनामी अखाड़ा श्रीनगर से पहलगाम के लिए रविवार प्रात: छह बजे रवाना हुई। आषाढ़ पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) पर पहलगाम में अमरनाथ छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की रस्म पूरी की जाएगी।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड के मुताबिक, पवित्र यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना निगेटिव का प्रमाणपत्र साथ रखना होगा।
जम्मू बेस कैंप में श्रद्धालुओं की कोरोना स्क्रीनिंग होगी। साधुओं को छोड़कर सभी तीर्थयात्रियों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
इस साल तीर्थयात्री केवल उत्तरी कश्मीर के बालटाल मार्ग से होकर जा पाएंगे। पहलगाम मार्ग से अनुमति नहीं दी जाएगी।
आमतौर पर अमरनाथ यात्रा 45 से 60 दिन तक चलती है लेकिन इस बार यात्रा केवल 14 दिन की होगी। तीन अगस्त तक पवित्र गुफा से बाबा बर्फानी के लाइव दर्शन और सुबह व शाम की पूजा का दूरदर्शन पर प्रसारण किया जाएगा।
आज उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू व बोर्ड के अन्य अधिकारी अमरनाथ छड़ी मुबारक पूजन में मौजूद रहेंगे।
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