राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर फास्टैग को लागू करने की सरकार की तमाम कोशिशें अभी तक रंग लाती नजर नहीं आ रही हैं। आलम यह है कि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) के जरिये टोल वसूली का आंकड़ा अभी भी 50 फीसदी को नहीं छू पाया है। गौरतलब है कि देशभर में वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य करने की अंतिम तारीख 15 दिसंबर है, जिसे पूरा होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं।
खबरों के मुताबिक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मौजूदा समय में टोल प्लाजा पर हर रोज 78 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली हो रही है। इसमें ईटीसी के जरिये फास्टैग से 35 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। बाकी बचे 43 करोड़ रुपये नगद अदा किए जा रहे हैं। यानी फास्टैग से टोल टैक्स वसूली का आंकड़ा 44 फीसदी के नजदीक पहुंचा है, जबकि 56 फीसदी टोल वसूली अभी भी नगद हो रही है।
अधिकारी ने बताया कि ईटीसी में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) के जरिये वाहन में लगे फास्टैग से टोल का भुगतान खुद ही हो जाता है। अभी देशभर में रोजाना औसतन 1.25 लाख फास्टैग की बिक्री हो रही है।
अधिकारी के मुताबिक पिछले छह महीने में कुल 92 लाख फास्टैग की बिक्री हो चुकी है, जबकि दो एक्सल ट्रक, ट्रेलर और टेंपो की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है। वहीं सरकारी और निजी बसों व कारों को इसमें जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा सात करोड़ हो जाएगा। इस लिहाज से सभी निजी और व्यावसायिक वाहनों में से अभी तक सिर्फ 15 फीसदी वाहनों में ही फास्टैग लग पाया है।