अगर आपने अप्रैल 2016 से पहले होम लोन लिया है तो फिर यह जल्द ही सस्ता हो सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वो पुराने होम लोन के इंटरेस्ट रेट को मॉर्जनिल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) से लिंक करें।अभी इन लोगों को बेस रेट पर ईएमआई देनी होती थी, जोकि हर बैंक का अलग-अलग होता था। अब 1 अप्रैल 2018 से सभी बैंकों को बेस रेट के बजाय एमसीएलआर पर होम लोन का इंटरेस्ट अपने कस्टमर्स को देना होगा।
एमसीएलआर से लिंक करने पर होगा फायदा
रिजर्व बैंक को लगातार शिकायतें मिल रहीं थी कि बैंक बेस रेट का निर्धारण मनमानी तरीके से कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों पर ईएमआई का बोझ ज्यादा पड़ रहा है। बेस रेट खत्म करने के बाद 21 महीनों में वेटेड ऐवरेज लेंडिंग रेट 11.2 फीसदी से घटकर दिसंबर 2017 में महज 10.26 फीसदी रह गया।
इसका फायदा जिन्हें मिल रहा है, उनमें ज्यादातर वे लोग हैं जिनके लोन पर लागू ब्याज की दर एमसीएलआर से जुड़ी हुई है। ज्यादातर बैंकों ने कॉस्ट ऑफ फंड्स (लोन देने की कुल लागत) के मुताबिक ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है, लेकिन एसबीआई ने पिछले महीने होम लोन पर ब्याज दर 30 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 8.65% प्रतिशत कर दिया।
बैंकों के अलावा एनबीएफसी कंपनियां भी दायरे में
आरबीआई ने नई पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा है कि एनबीएफसी कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी। वहीं इन कंपनियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा। इससे लोन लेनेवालों की शिकायतों का निपटारा बिना किसी खर्च के हो सकेगा।
आरबीआई ने सस्ती नहीं की आपकी ईएमआई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उम्मीदों के मुताबिक आपकी लोन की ईएमआई में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। फिलहाल रेपो रेट 6 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा है। रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव न करने की वजह से आम जनता को बैंकों से सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीदों पर झटका लगा है।
अभी भी रेपो रेट की दर 6 सालों में सबसे कम हैं। आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में बनी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने दो दिन चली बैठक के बाद अपना निर्णय सुनाया। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।