मंगलवार यानी 24 दिसंबर 2019 रात करीब 7.25 बजे आए भूकंप के तेज झटके ने लोगों की नींद उड़ा दी. लोग घरों से बाहर निकल आए. अलबत्ता दोनों जिलों में भूकंप से किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.5 मापी गई है. वहीं चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि भूकंप का केंद्र चीन सीमा क्षेत्र में हिंदु कुश की पहाड़ियों में था. जिले में इससे पूर्व बीते 24 नवंबर, आठ दिसंबर और 13 दिसंबर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. एक माह में 4 बार धरती डोलने से लोगों में दहशत है.

वहीं सूत्रों का कहना है कि कर्णप्रयाग में भी भूकंप का झटके ने लोगों की नींद उड़ा दी. रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ और अन्य स्थानों पर भूकंप का झटका महसूस होने पर लोग घरों से बाहर निकल आए. जिला आपदा कंट्रोल रूम से बताया गया कि जिले में कहीं भी किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है. हेलंग व चमोली कस्बे के आसपास से गुजरती है मैन बाउंड्री थ्रस्ट भूकंप की दृष्टि से चमोली और रुद्रप्रयाग जिला जोन पांच में होने से अति संवेदनशील हैं. चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे हेलंग और चमोली कस्बे के आसपास से मैन बाउंड्री थ्रस्ट अर्थात भ्रंश रेखा गुजरती है, जिससे इस क्षेत्र में लगातार भूकंप आ रहे हैं.
जंहा डा. गैरोला के मुताबिक गढ़वाल हिमालय में लगातार हो रही भूगर्भीय हलचलें आने वाले समय में घातक हो सकती हैं. हम आपको बता दें कि भूगर्भ में लगातार प्लेटें टकराने और खिसकने से पर्वतीय क्षेत्र में भूकंप आने की घटनाएं हो रही है. भारतीय प्लेट लगातार एशियाई प्लेट की तरफ खिसक रही है, ऐसे में धरती के अंदर हलचल पैदा हो रही है. हिमालयी क्षेत्र इन दोनों प्लेटों के बीच स्थित होने से भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील है. भूगोलवेता का कहना है कि पृथ्वी के अंदर भूगर्भीय हलचलों के कारण ऊर्जा संचित होती है, जिसका समय-समय पर बाहर निकलना जरूरी है. हिमालयी क्षेत्र में आने वाले कम तीव्रता के भूकंप हानिकारक नहीं हैं
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