झारखण्ड में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी कौशल विकास की योजना के तहत होने वाले वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर (वीटीपी) प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है. इससे श्रम विभाग और झारखण्ड सरकार दोनों सकते में हैं. विभागीय सचिव ने खुद इस बारे में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जांच की गुहार लगाई है.
पूरा मामला मुख्यमंत्री रघुवर दास की जानकारी में भी है और उन्होंने इसकी जांच कराने का आदेश दिया है, वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के मद में 10 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है, जबकि 19 करोड़ रुपये से अधिक के बिल का भुगतान अभी बाकी है. इस लिहाज से इस महत्वाकांक्षी योजना में कुल मिलाकर 29.83 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आ रहा है. एसीबी इस बात की जांच करेगी कि वोकेशनल ट्रेनिंग के मद में जो भुगतान हुआ वह सही है या नहीं. लोगों को ट्रेनिंग दी गई या फिर ऐसे ही खानापूर्ति कर दी गई. वहीं, जिन बिलों का भुगतान होना है वह भी जांच के घेरे में है, आशंका है कि ये बिल फर्जी हैं.
इसके मुख्य सूत्रधार तत्कालीन सहायक निदेशक प्रशिक्षण (मुख्यालय) योगेंद्र प्रसाद और उप निदेशक प्रशिक्षण (मुख्यालय) शशिभूषण प्रसाद हैं, दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. दोनों ने वीटीपी में 109 एजेंसियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया है. सजा के तौर पर इन्हें पदानवत (डिमोट) किया गया है.
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