सोनू सूद ने पिछले कुछ महीनों में ना केवल लोगों की खुले दिल से मदद की है बल्कि कई लोगों को भी मुसीबत केे वक्त में अपने आसपास परेशानी में मौजूद लोगों की मदद करने के लिए कहा है.

सोनू सूद के इन प्रयासों के चलते ना केवल देश के कई हजार लोग मुसीबत से बाहर निकले हैं बल्कि उनके पदचिन्हों पर चलते हुए लोग अपनी मदद खुद कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ आंध्रप्रदेश के दो गांवो में देखने को मिला.
कृष्णमूर्ति नाम के शख्स ने सिलसिलेवार ट्वीट्स में इस घटना के बारे में बात की है. उन्होंने लिखा, सोनू सूद से प्रेरणा लेते हुए आंध्रप्रदेश के विजयानगरम के दो गांवों ने अपने पैरों पर खुद खड़े होने की कोशिश की.
दरअसल हिलटॉप पर मौजूद गांव तक पहुंचने के लिए सड़क की जरूरत पड़ती है. साल 1947 से ही लोकल सरकार से कई बार रोड बनाने के लिए दरख्वास्त की गई लेकिन उनकी बातों को नहीं सुना गया तो हर परिवार ने 2000 रूपए का दान किया और खुद सड़क बना ली.
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा- अबतक, चिंतामाला और कोडामा गांवों के 250 परिवारों के लिए ट्रांसपोर्ट का साधन केवल एक डोली थी. गर्भवती महिलाओं को भी इमरजेंसी के लिए इस डोली पर निर्भर होना पड़ता था. ये तस्वीर दो साल पहले की है जब एक महिला को कुछ इस तरह 12 किलोमीटर दूर अस्पताल में ले जाया गया था.
इस प्रयास के लिए 20 लाख रूपए इकट्ठा किए गए जिनमें दो लोन और हर परिवार से दो हजार रूपए शामिल हैं. गांववालों ने उड़ीसा से जेसीबी मशीन मंगाई और चार किलोमीटर घाट सड़क का निर्माण हुआ.
इन गांवों के निवासी सोनू सूद के प्रयास से बेहद प्रभावित थे और उन्हें एहसास हो गया था कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी और का इंतजार करना जरूरी नहीं है. सोनू सूद भी गांववालों के प्रयासों से बेहद खुश नजर आए और उन्होंने इस ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा- मेरा देश बदल रहा है.
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