#बड़ी खबर: अब PF खाते में आएगा ज्यादा पैसा, नौकरीपेशा को मिल सकता है बड़ा फायदा

#बड़ी खबर: अब PF खाते में आएगा ज्यादा पैसा, नौकरीपेशा को मिल सकता है बड़ा फायदा

प्रोविडेंट फंड खाताधारकों के लिए अच्छी खबर है. अब 5 करोड़ पीएफ अंशधारकों के खाते में ज्यादा रकम आएगी. बेसिक सैलरी कम रखकर पीएफ का हिस्सा कम करने वाली कंपनियों की मनमानी अब नहीं चलेगी. दरअसल, अभी तक कंपनियां बेसिक सैलरी को कम रखकर अलाउंसेज बढ़ाने की मनमानी करती रही हैं. लेकिन, अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वेज को क्लासीफाइ करने का मन बनाया है. इसके तहत अगर बेसिक सैलरी का 50 फीसदी से अधिक अलाउंस रखा जाता है तो इसे भी बेसिक सैलरी का हिस्सा माना जाएगा. कंपनी को इस पर भी पीएफ काटना होगा. #बड़ी खबर: अब PF खाते में आएगा ज्यादा पैसा, नौकरीपेशा को मिल सकता है बड़ा फायदा

ईपीएफ एक्ट में होगा संशोधन
नौकरीपेशा लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए ईपीएफओ ने एक कमिटी गठित की है. यह कमिटी ने वेज क्लासिफिकेशन पर विचार करेगी और नया प्रस्ताव सीबीटी के सामने रखा जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल में होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जा सकता है. प्रस्ताव पर सीबीटी की मंजूरी के बाद ईपीएफ एक्ट में संशोधन किया जाएगा.

अभी तय नहीं है वेज की परिभाषा
ईपीएफओ एक्ट में संशोधन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि, अभी तक कंपनियां से मिलने वाले वेज के लिए ईपीएफ एक्ट में कोई क्लासिफिकेशन नहीं है. इसका फायदा कंपनी उठाती हैं और बेसिक सैलरी को कम रखकर अलग-अलग अलाउंस के नाम पर सैलरी को बांट देती हैं. जिससे एम्प्लॉई की बेसिक सैलरी कम रहती है और उसके पीएफ का हिस्सा भी कम ही रहता है. ईपीएफओ को ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि कंपनियां सैलरी में कन्‍वेंस अलाउंस और पर्सनल अलाउंस के अलावा परफार्मेंस अलाउंस और एंटरटेनमेंट अलाउंस लगाकर बेसिक सैलरी कम कर रही हैं.

कम मिलता है पीएफ का पैसा
बेसिक सैलरी कम होने से एम्प्लॉई के खाते में कम पीएफ आता है. हालांकि, कंपनी अलाउंस बांट कर कर्मचारी को इन हैंड सैलरी तो ज्यादा देती है, लेकिन पीएफ का कंट्रीब्यूशन कम रहता है. ऐसे में पीएफ खाते में लंबी नौकरी के बाद भी ज्यादा पैसा इकट्ठा नहीं हो पाता. नियम में संशोधन होने से कर्मचारी की सेविंग बढ़ेंगी और ज्यादा पैसा पीएफ खाते में जमा होगा.

पेंशन भी हो जाती है कम
ईपीएफओ के इंस्पेक्शन ऑफिसर भानू प्रताप शर्मा के मुताबिक, कंपनियां वेज क्लासिफिकेशन तय नहीं होने का फायदा उठाती हैं. एम्‍पलॉई की बेसिक सैलरी जानबूझकर कम रखी जाती है. इससे एम्‍पलाई का पीएफ तो कम कटता ही है. साथ ही कंपनी का शेयर भी उतना ही होता है. यही वजह है कि एम्प्लॉई की पेंशन भी कम बनती है. रिटायरमेंट के बाद जितने पैसे की जरूरत होती है वह नहीं मिल पाता.

5 करोड़ मेंबर्स को होगा फायदा 
ईपीएफओ के इस कदम से मौजूदा स्थिति में 5 करोड़ खाताधारकों को फायदा मिलेगा. साथ ही नई नौकरी की शुरुआत करने वाले सदस्यों को भी बदले हुए एक्ट का फायदा मिलेगा. हालांकि, अभी यह सिर्फ प्रस्ताव है. अप्रैल के बाद इस पर कुछ स्थिति साफ हो सकती है.

 

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