सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने तमाम विरोधों और मतभेदों के बावजूद एक नई डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टो करेंसी) लिब्रा को अमल में लाने की दिशा में सोमवार को आधिकारिक तौर इसे पेश कर दिया।
अमेरिकी नियामकों एवं राजनेताओं की ओर से आलोचनाओं के बावजूद फेसबुक इस योजना पर आगे बढ़ रही है। इस नई मुद्रा का प्रबंधन लिब्रा एसोसिएशन करेगी। लिब्रा एसोसिएशन ने सोमवार को जिनिवा में उद्घाटन बैठक में 21 सदस्यीय चार्टर पर हस्ताक्षर किए।
क्या है क्रिप्टो करेंसी
यह मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। इसे जारी करने वाली कंपनियों या एजेंसियों की वेबसाइट या एप के जरिये केवल आईडी-पासवर्ड के जरिये संचालित किया जाता है। उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल गुमनामी से और बिना डिजिटल निशान छोड़े खरीद-बिक्री कर सकते हैं। आईडी-पासवर्ड भूल जाने पर पूरी पूंजी डूबने की आशंका रहती है। बिटक्वाइन इस क्षेत्र में सबसे चर्चित क्रिप्टो करेंसी है। दुनिया के अधिकतर देशों में इस पर प्रतिबंध है।
शुरुआत से पहले ही झटका
लिब्रा एसोसिएशन में पहले 27 सदस्य थे, लेकिन हाल के दिनों में वीजा, मास्टरकार्ड और पेपाल जैसी कुछ कंपनियों ने इससे हाथ पीछे खींच लिया। लिब्रा एसोसिएशन के बचे ज्यादातर सदस्यों में वेंचर कैपिटल कंपनियां शामिल हैं। इसके साथ ही ऊबर, स्पॉटीफाई और वोडाफोन भी इसके सदस्य बन गए हैं। संघ ने बयान में कहा कि 180 अन्य कंपनियों ने जुड़ने की इच्छा जताई है और इसमें शामिल होने के लिए प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा किया है।
निजता को लेकर विरोध
लिब्रा की घोषणा के बाद से ही फेसबुक अमेरिकी नियामकों और राजनेताओं की तरफ से आलोचना झेल रही है। उनका कहना है कि उपयोगकर्ता की निजता की रक्षा करने को लेकर फेसबुक की चुनौतियां लिब्रा को भी प्रभावित करेंगी। उपयोगकर्ताओं के आंकड़े (डाटा) चोरी होने और निजता के उल्लंघन को लेकर फेसबुक कई गंभीर आरोपों का सामना कर रही है।
चीन भी डिजिटल मुद्रा पेश करेगा
चीन भी अपनी डिजिटल मुद्रा पेश करने की तैयार में है। सरकार और केंद्रीय बैंक इसकी मंजूरी दे सकते हैं। विश्लेषकों ने यह बात कही। सितंबर के अंत में, चीन के केंद्रीय बैंक के गवर्नर यी गंग ने कहा था कि नई मुद्रा मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली से जुड़ी हो सकती है। जैसे कि वीचैट और अलीपे एप बैंक खातों के माध्यम से युआन लेनदेन की अनुमति देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन 11 नवंबर को अपनी डिजिटल मुद्रा पेश कर सकता है क्योंकि इस दिन से वहां महासेल की शुरुआत होती है।
उपयोगकर्ताओं पर नजर रखेगी चीन की मुद्रा
दुनिया भर में चल रही क्रिप्टो करेंसी की तुलना में चीन की क्रिप्टो करेंसी कई मायनों में अलग होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके जरिये सरकार और केंद्रीय बैंक यह पता लगा सकेगी कि लोग अपना पैसा कहां खर्च करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी के उदारवादी आदर्शों से दूर चीन का ई-कैश सिस्टम पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी )के द्वारा कड़ाई से विनियमित की जाएगी। बीजिंग स्थित शोध फर्म ट्रिवियम चाइना के विश्लेषकों ने कहा कि इससे यह पीबीओसी को पूरे देश में होने वाले लेन-देन के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी।
आरबीआई भी कर रहा विचार
भारतीय रिजर्व बैंक भी डिजिटल मुद्रा लाने की योजना पर काम कर रहा है। पिछले साल रिजर्व बैंक ने कहा था इस तरह की मुद्रा के चलन को देखते हुए वह इसे भारत में पेश करने के मद्देनजर इसके सभी पहलूओं पर विचार कर रहा है। आरबीआई ने इसे लाने की कोई समय सीमा नहीं बताई है।