निर्वाचन आयोग आगामी लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा रविवार को करेगा। आयोग लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की भी घोषणा कर सकता है।
आयोग की ओर से जारी बयान के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा अन्य चुनाव आयुक्तों के साथ यहां स्थित विज्ञान भवन में शाम पांच बजे संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेंगे। सूत्रों के अनुसार आगामी अप्रैल और मई में सात से आठ चरणों में लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव कराए जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल तीन जून को समाप्त होगा। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेगी।
समझा जाता है कि आयोग लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की भी घोषणा कर सकता है। इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अगले कुछ महीनों में समाप्त हो रहा है।
पिछले साल हालांकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा भी भंग किए जाने के बाद आयोग के समक्ष मई से पहले राज्य में चुनाव कराने की बाध्यता है। लेकिन भारत पाकिस्तान सीमा पर तनाव को देखते हुए जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया शुरू करना राज्य के जटिल सुरक्षा हालात और इसके इंतजामों पर निर्भर करेगा।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का छह साल का कार्यकाल 16 मार्च 2021 तक निर्धारित था, लेकिन पिछले साल राज्य में सत्तारूढ़ पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने के कारण विधानसभा भंग कर दी गई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार जम्मू कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्ष होता है।
सूत्रों के अनुसार लोकसभा की 543 सीटों पर चुनाव के लिए आयोग ने देश में लगभग दस लाख मतदान केंद्र बनाए हैं। समझा जाता है कि चुनाव के पहले चरण के लिए मार्च के अंतिम सप्ताह में अधिसूचना जारी की जा सकती है।
आयोग ने 2014 में लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा पांच मार्च को की थी। पिछला चुनाव अप्रैल से मई के बीच नौ चरणों में कराया गया था। पहले चरण का मतदान सात अप्रैल को और अंतिम चरण का मतदान 12 मई को हुआ था।
चुनाव आचार संहिता : क्या, क्यों और कैसे?
देश में होने वाले सभी चुनावों से पहले चुनाव आयोग आचार संहिता (Code of Conduct) लगाता है। इस दौरान राजनीतिक दलों, उनके उम्मीदवारों और आम जनता को सख्त नियमों का पालन करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है।
सामान्य नियम:
* कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
* राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न कि व्यक्तिगत।
* धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
* मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
* किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
* किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
* राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।
राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम :
* सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
* दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहॉं निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
* सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
* सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।