भारत लगातार वायुसेना की ताकत बढ़ाने में लगा है। चिनूक और अपाचे जैसे मारक विमान वायुसेना का हिस्सा बन चुके हैं तो वहीं राफेल भी वायुसेना में शामिल हो रहा है। इसके साथ ही अन्य लड़ाकू विमानों को भी वायुसेना अपग्रेड करने की तैयारी में है।
भारत ने अपने सुखोई-30 एमकेआई विमानों को अपग्रेड कर रडार और हथियारों से लैस बनाने की योजना बनाई है, जिसको लेकर फिलहाल रूस से बात चल रही है। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना रूस से 12 और सुखोई विमान खरीदने की योजना बना रही है ताकि क्रैश में बर्बाद हुए लड़ाकू विमानों की भरपाई की जा सके। इसके अलावे वायुसेना के 49 मिराज-2000एस को भी अपग्रेड किया जाएगा।
लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही वायुसेना आनेवाले दिनों में और ज्यादा विमानों के साथ ताकतवर होने वाली है। इन विमानों को पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स कंपनी बनाएगी। सुखोई के अलावा कंपनी 21 अतिरिक्त मिग-29 जेट्स का निर्माण भी करेगी, जिसमें एक विमान की लागत 230 करोड़ रुपये होगी।
वायुसेना अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह भदौरिया के अनुसार सुखोई विमानों को आने वाले समय में और अपग्रेड किया जाएगा। बता दें कि वायुसेना ने अब तक 272 में से सिर्फ 250 सुखोई विमान अपने बेड़े में शामिल किए हैं। सुखोई सू 30 एमकेआई के 272 बेड़ों का ऑर्डर पहले ही मिल चुका है। अब उसे अपग्रेड किए जाने की बात चल रही है।
ब्रह्मोस मिसाइलों से अपग्रेड होगा सुखोई
सुखोई ‘अपग्रेड प्रोजेक्ट’ के तहत इनमें एक शक्तिशाली रडार सिस्टम लगाया जाएगा, जोकि ‘एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे’ की तरह सक्षम होगा। इसके साथ ही इनमें नए एवियॉविक्स शामिल किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि हथियारों के नियंत्रण और नई मिसाइलों के इंटिग्रेशन के लिए नए कंप्यूटर सिस्टम की जरूरत होगी।
दो सीट वाले 42 सुखोई विमानों को भी सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से अपग्रेड किया जाएगा। मालूम हो कि सुखोई विमान तीन हजार किलोमीटर दूर तक हमला कर सकता है। वहीं, इसकी क्रूज रेंज 3200 किलोमीटर तक है, जबकि कॉम्बेट रेडियस 1500 किलोमीटर है।
मिराज-2000 भी होगा अपग्रेड, बढ़ेगी वायुसेना की ताकत
भारतीय वायुसेना के 49 मिराज-2000एस को भी अपग्रेड किए जाने की योजना है। इनमें से ही कुछ विमानों का उपयोग 26 फरवरी को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान किया गया था। इनके अपग्रेडेशन में 17,547 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इससे पहले साल 2015 में भी मिराज-2000एस को अपग्रेड करके वायुसेना को सौंपा गया था। उस वक्त उनमें नए इलेक्ट्रॉनिक और रडार सिस्टम लगाया गया था। चूंकि इसमें दो इंजन होते हैं इसलिए इसके क्रैश होने की संभावना बहुत ही कम है। भारतीय वायुसेना के लिए ये आधुनिक लड़ाकू विमान महत्वपूर्ण साबित होंगे।