सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबड़े ने कहा कि अब समय आ गया है कि महिला सीजेआई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से कोई भेदभाव नहीं किया जाता, हर कोलेजियम ये सुनिश्चित करता है कि महिलाओं की भागीदारी उनके अनुपात के अनुसार हो.
सीजेआई एसए बोबड़े ने ये टिप्पणी महिला वकील की एक याचिका पर की, जिसमें मांग की गई थी कि जजों की नियुक्ति में प्रतिभावान वकीलों को जगह दी जाए. याचिका में कहा गया कि महिलाओं का अनुपात ज्यूडीशियरी में मात्र 11% है, जो बहुत ही कम है.
दरअसल, ऊपरी अदालतों में पेंडिंग मामलों को निपटाने के लिए एडहॉक जजों को नियुक्त करने के मामले के दौरान महिला वकीलों की तरफ से दाखिल याचिका पर सीजेआई एसए बोबड़े ने नोटिस जारी करने से मना किया. याचिका में मांग की गई था कि MOP में संशोधन कर महिलाओं को जज नियुक्त करने की व्यवस्था की जाए.
सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस होने के समय हमने बहुत कोशिश की थी, लेकिन जिस महिला वकील से पूछा जाता वो यही कहती कि बच्चों की जिम्मेदारी है, घर की जिम्मेदारी है, इस तरह से महिला जज नियुक्त करने में तमाम परेशानियां हैं. सीजेआई ने कहा कि आप चिंता ना करें समय आ गया है कि भारत की मुख्य न्यायाधीश महिला होंगी.