अब रिश्वत की तरह सेक्स की मांग करना, भ्रष्टाचार मना जायेगा

रिश्वत की तरह सेक्स की मांग करना भी नए कानून के तहत भ्रष्टाचार माना जाएगा और संसदीय समिति के नए प्रस्तावित कानून के तहत ऐसी मांग रखने वाले व्यक्तियों को सजा भी दी जा सकती है।

राज्यसभा की चयन समिति ने नए भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में विधि आयोग की इस रिपोर्ट का समर्थन किया है और प्रस्तावित कानून के हालिया प्रावधान में ‘अनुचित लाभ’ को भी शामिल करने की सिफारिश की है।

इसके तहत सरकारी कर्मचारियों की रिश्वतखोरी से संबंधित जुर्म की व्याख्या में सेक्स की मांग सहित ‘वैधानिक पारिश्रमिक से इतर किसी तरह की बख्शीश’ को शामिल करने के लिए कहा गया है।

रिश्वत की तरह सेक्स की मांग करना भ्रष्टाचाररिश्वत देने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान 

 संसदीय समिति ने पहले प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी कानून के दायरे में कॉरपोरेट तथा उनके अधिकारियों को शामिल करते हुए निजी क्षेत्र में रिश्वतखोरी को भी अपराध की श्रेणी में लाने की सिफारिश की है और उनके लिए जुर्माने के साथ-साथ सात साल तक की कैद की अनुशंसा की है। इसके अलावा रिश्वत देने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान रखा गया है।

रिश्वतखोरी संबंधी ये सभी प्रावधान भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 में शामिल हैं। रिश्वतखोरी की परिभाषा को विस्तृत रूप देने और निजी क्षेत्र की रिश्वतखोरी को शामिल करने के लिए सरकार ने नया भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक, 2013 लाने का फैसला किया है जो अभी तक लंबित हैं।

इस नए विधेयक में रिश्वतखोरी संबंधी अपराध के लिए‘आर्थिक या अन्य लाभ’ को नए सिरे से परिभाषित किया गया है। पिछले साल नवंबर में कुछ आधिकारिक संशोधनों में रिश्वतखोरी को  ‘आर्थिक या अन्य लाभ’ की जगह ‘अनुचित लाभ’ के रूप में परिभाषित किया था जिसमें ‘वैधानिक पारिश्रमिक से इतर किसी तरह की बख्शीश या खुशनामा को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया था।

उच्च सदन की समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति के सदस्यों ने यह भी महसूस किया है कि प्रस्तावित संशोधनों में ‘अनुचित लाभ’ का आशय आर्थिक और गैर-आर्थिक लाभ के सभी स्वरूपों को शामिल करने से है और प्रवर्तन एजेंसियों के दुरुपयोग को देखते हुए यह संशोधन पर्याप्त लगता है।’ समिति की आशंका है कि प्रवर्तन या जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलों में सरकारी कर्मचारियों और सिविल सोसायटी के सदस्यों को प्रताड़ित करने के लिए इस अभिव्यक्ति का दुरुपयोग कर सकती है इसलिए इस संबंध में पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि समिति का मानना है कि विधि आयोग ने अपनी 254वीं रिपोर्ट (फरवरी 2015) में भ्रष्टाचार निरोधक कानून में ‘अनुचित लाभ’ की परिभाषा इस्तेमाल करने के लिए सुझाया है। लेकिन समिति भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के उपनियम के तहत अनुच्छेद 2 में प्रस्तावित उक्त संशोधन की सिफारिश की है।

विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ‘आर्थिक या अन्य लाभ’ की परिभाषा प्रस्तावित बदलाव से संकीर्ण थी जिसमें ‘वैधानिक पारिश्रमिक से इतर किसी तरह की बख्शीश या खुशीनामा’ को शामिल किया गया है। मसलन, इसमें सरकारी काम करने के बदले बतौर बख्शीश सेक्स की मांग पूरी करना भी स्पष्ट रूप से शामिल है।

अनुचित लाभ के इस्तेमाल जोड़ने की सिफारिश

इसी तरह के शब्दों के इस्तेमाल से ‘आर्थिक या अन्य लाभ’ में ‘अन्य लाभ’ की व्याख्या के तहत सरकारी सेवा के बदले सेक्स की मांग पूरी करने का आशय नहीं निकलता। लिहाजा प्रस्तावित संशोधन वास्तव में भ्रष्टाचार की परिभाषा के दायरे को विस्तृत करने के बजाय इसे संकीर्ण करता है। इस तरह समिति ने प्रस्तावित विधेयक में ‘अनुचित लाभ’  के इस्तेमाल को जोड़ने की सिफारिश की है।

चयन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, काम के बदले औपचारिक आतिथ्य के तहत एक निश्चित राशि तक का परंपरागत तोहफा, स्मृति चिह्न या सोविनियर और बैठक या आधिकारिक दौरे के दौरान शिष्टाचार लंच या डिनर को ‘अनुचित लाभ’ के दायरे में नहीं रखा जा सकता है।
समिति को यह भी आशंका है कि भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर जांच एजेंसियां सरकारी कर्मचारियों और सिविल सोसायटी के सदस्यों को प्रताड़ित करने के लिए प्रस्तावित उपनियम का दुरुपयोग कर सकती हैं और इसलिए इस संबंध में पर्याप्त सावधानियां बरतने की जरूरत है।

 
 

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