अब भगवान बदरीविशाल के भक्तों को बदरीनाथ धाम में पहुंचने पर 300 मीटर की दूरी से भी बदरीनाथ मंदिर के दर्शन हो सकेंगे। इसके लिए इस मार्ग में आने वाली दुकानों व होटलों को हटाते हुए आस्थापथ का निर्माण करने की तैयारी है। दुकानों के विस्थापन को बदरी-केदार मंदिर समिति और शासन के बीच सहमति बन चुकी है। अब प्रभावितों को विश्वास में लेकर यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। बदरीनाथ धाम को भी केदारनाथ धाम की तर्ज पर विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने 45.72 करोड़ की धनराशि की मंजूरी दी है। पहले चरण में 11 करोड़ रुपये अवमुक्त हो चुके हैं जो शासन ने कार्यदायी संस्था को सौंप दिए हैं।
प्रदेश में प्रतिवर्ष लाखों यात्री चारधाम यात्रा के लिए आते हैं। वर्ष 2013 की आपदा के बाद यात्रियों की संख्या में कमी आई थी लेकिन इस बार फिर रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए हैं। आपदा के बाद केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का कार्य अब पूर्ण होने को है और इसे नए स्वरूप को खासा सराहा जा रहा है। इस कारण अब प्रदेश सरकार की नजरें बदरीनाथ धाम के स्वरूप को संवारने पर टिक गई है। इसके लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ माह पूर्व केदारनाथ के साथ ही बदरीनाथ धाम के दर्शन के बाद अब यहां कार्य में तेजी लाई जा रही है। पहले चरण में सरकार की योजना बदरीनाथ धाम में आस्थापथ तैयार करने की है। प्रस्तावित योजना के अनुसार बदरीनाथ धाम में पहुंचने पर मंदिर के प्रवेश मार्ग पर बड़ा और भव्य द्वार बनाया जाएगा। इस द्वार के भीतर प्रवेश करते ही भक्तों को सीधा मंदिर के दर्शन हो सकेंगे।
अभी इस स्थान पर कई दुकानें और होटल हैं, जिस कारण मंदिर दूर से नजर नहीं आता। प्रवेश द्वार व मंदिर के बीच के इस रास्ते को आस्थापथ का नाम दिया गया है। इसे भव्य व सुगम बनाने के लिए आठ करोड़ का खर्च आएगा। इस पर 40 सोलर लाइट और साठ बेंच भी बनाई जाएंगे। इस मार्ग पर 40 से अधिक दुकानें आ रही हैं, जिनका विस्थापन किया जाना है। इसे लेकर मंदिर समिति और शासन के बीच दो दौर की वार्ता भी हो चुकी है।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा आस्थापथ के निर्माण का कार्य जल्द शुरू किया जाना है। पहले चरण में 12 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं, जिन्हें कार्यदायी संस्था को जारी कर दिया गया है। बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल का कहना है कि मार्ग में कुछ दुकानें आ रही हैं। इन्हें उचित मुआवजा और स्थल उपलब्ध कराने के लिए शासन से वार्ता की जा रही है।