अब यात्री बार कोड के जरिए जान सकेंगे कि उनका खाना ताजा है या बासी। क्वालिटी खराब होने पर उसकी शिकायत भी की जा सकेगी। आईआरसीटीसी का दावा है कि इससे भोजन की गुणवत्ता को लेकर रेलयात्रियों द्वारा की जाने वाली शिकायतों में कमी आएगी। फिलहाल यह व्यवस्था अप्रैल से शुरू की जाएगी।
कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के सीआरएम अश्वनी श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रेनों में आईआरसीटीसी द्वारा मुहैया करवाए जाने वाले पके हुए सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों के पैकेट पर बार कोड होगा। इसके साथ किचन का नंबर और पैकिंग का समय दिया होगा। भोजन पर पैकिंग किए जाने वाले आईआरसीटीसी के किचन का नंबर के साथ-साथ यह भी दर्ज होगा कि पैकिंग कब हुई है।
आईआरसीटीसी के देश में 32 प्रमुख किचन
आईआरसीटीसी के 32 आधारभूत किचन हैं जहां से ट्रेनों में यात्रियों को भोजन मुहैया करवाया जाता है। भोजन की गुणवत्ता और वेंडरों द्वारा भोजन के अधिक पैसे लेने की शिकायतों को लेकर रेलवे की आलोचना होती रही है। लेकिन बार कोड होने के बाद यात्रियों को काफी सहूलियतें मिलेंगी। अगर स्कैनिंग के बाद खाने के बासी होने का पता चलता है तो इसकी शिकायत तुरंत पेंट्री मैनेजर या कंडक्टर से कर सकेंगे।
कैसे कर सकते हैं स्कैन
आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी होती है कि वह रेल यात्रियों को ताजा खाना मुहैया कराए। मोबाइल में बार कोड एप डाउनलोड कर या रेलवे की <https://raildrishti.cris.org.in> की साइट पर जाकर बार कोड स्कैन किया जा सकता है।
क्या है बारकोड व उसकी तकनीक
बारकोड किसी आंकड़े या सूचना को मशीन से पढ़े जाने योग्य बनाने का तरीका है। बारकोड को वन डाइमेंशनल रेखाओं में बनाया जाता है। इसमें लाइनों के साथ लिखे अंकों की भूमिका अहम होती है। बारकोड स्कैनर में एक रीडर होता है जो अंकों और बारकोड के जरिए उसे एक विशेष डाटा से कनेक्ट कर देता है। जो उस आइटम की कीमत और उसकी मात्रा की जानकारी बताते हैं। जीएस-1 (बारकोड गुणवत्ता जांचने का तरीका) इन अंकों की रिपॉजिटिंग करता है। बारकोड के फूड प्रोडक्ट में उपयोग के तीन बड़े फायदे हैं इसमें असली-नकली की पहचान, वैद्यता और पता लगाना प्रमुख हैं।
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