अब पाकिस्तान में भी कश्मीर के मुद्दे को लेकर दो पक्ष बन गए हैं। सत्ता पक्ष कश्मीर मुद्दे को लेकर अपनी तमाम तरह से सफाई देता रहता है तो विपक्ष का कहना है कि इमरान सरकार ने इसके लिए कोई ठोक कदम ही नहीं उठाए। बुधवार को पाकिस्तान की संसद में इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार हुई, एक मौका तो ऐसा आया जब विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के लोगों से गाली-गलौज तक करने पर उतारू हो गए।
पाकिस्तान की संसद में कश्मीर मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर जमकर तकरार हुई। मालूम हो कि इन दिनों पाकिस्तान में संसद सत्र चल रहा है। मौजूदा सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने सरकार पर कश्मीर मुद्दे को ठीक से सामने ना रखने के लिए सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया।
कूटनीतिक आपातकाल घोषित करने की सलाह
संसद सत्र के दौरान एक विपक्षी सांसद ने तो सरकार को कूटनीतिक आपातकाल घोषित करने की मांग कर डाली, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब किसी मंच पर उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उनको इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी से हाथ खींच लेना चाहिए। विपक्षी सांसदों के ऐसे तेवर को देखते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने सफाई देनी शुरू की, कहा कि सरकार ने जो किया बेहतर किया, उन्होंने विपक्ष से अनुरोध किया कि वो कश्मीर मामले पर सरकार के प्रयासों को कमजोर न करें।
कुरैशी ने कहा कि जब पाकिस्तान की कोशिशें कमजोर होती हैं, तो आप भी कमजोर होते हैं, इसी के साथ पाकिस्तान का पक्ष भी कमजोर होता है। कुरैशी ने सांसदों से यहां तक कह डाला कि आप अपने सुझाव दीजिए और हमने जो कोशिशें की हैं उसे और मजबूत कीजिए, हमारे हाथों को कमजोर मत कीजिए, उसे और ताकत दीजिए।
370 पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की कोशिश
भारत ने जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया है उसके बाद से ही पाकिस्तान में आग लगी हुई है। इमरान खान इसे तमाम मंचों पर उठा चुके हैं, जबकि तमाम एजेंसियां इस मुद्दे को भारत का अंदरूनी हिस्सा बताकर इसमें किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने से पहले ही मना कर दिया है। इमरान ने इसके लिए अमरीका, चीन, ईरान, सऊदी अरब समेत कई देशों के दौरे किए मगर किसी भी देश ने खुलकर भारत के इस फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया। और तो और पाकिस्तान ने चीन की मदद से इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया मगर कोई कामयाबी नहीं मिली।
इस सरकार में जो हुआ वो कोई सोच नहीं सकता
संसद में मुत्तहिदा-मजलिसे-अमल के सांसद मुनीर ओरकजई ने कहा कि इमरान सरकार के शासन में जो हुआ वो कोई सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने कहा कि कश्मीर के साथ 72 सालों में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, आप पहले भी कई बार मंत्री रह चुके हैं, यहां बैठे 20-25 मंत्री पहले भी हुकूमतों के फैसलों में शामिल रहे हैं। नए मंत्री तो यहां बैठे चंद पश्तून भाई हैं जिन्हें यहां सिर्फ गालियाँ देने के लिए बिठाया है कि बस गालियाँ देते रहो। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि सरकार को कम-से-कम ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए थी।
ओआईसी को बताया मरा हुआ मंच
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता अहसन इकबाल ने तो यहां तक कह दिया कि यदि ओआईसी बैठक नहीं बुलाती और समस्या को नहीं सुनती है तो पाकिस्तान को तुरंत ही इस गुट से अलग हो जाना चाहिए, ऐसे मरे हुए मंच का सदस्य बने रहने से पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं होगा।
अहसन इकबाल ने साथ ही कहा कि जिस तरह से विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री ने इतने विदेशों के दौरे किए, राजदूतों को भेजा, उसे देखते हुए हुकूमत को अब तक कूटनीतिक इमरजेंसी का एलान कर देना चाहिए था। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि जब पाकिस्तान परमाणु संपन्न देश है तो फिर इतना बेबस क्यों है। दुनिया के इकलौते परमाणु शक्ति संपन्न मुस्लिम मुल्क को इतना बेबस होने की जरूरत ही नहीं होना चाहिए।