देशभर के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी का संकट खत्म करने के लिए कानपुर की पहल पर एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) ने मुहर लगा दी है। निर्णय किया है कि अब विदेश और देश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर विजिटिंग फैकल्टी बनाए जा सकते हैं। एमसीआइ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (एमसीआइबीओजी) ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। यह फैसला देशभर में राजकीय मेडिकल कॉलेज, चिकित्सीय संस्थान और विश्वविद्यालय चिकित्सा शिक्षकों (फैकल्टी) की कमी को देखते हुए लिया गया है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने दिया था प्रस्ताव
कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा एमसीआइ को पत्र भेजा था। इसमें सुझाव था कि मेडिकल छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए अपने विषय में महारत रखने वाले विदेशी डॉक्टरों और देश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले नामचीन चिकित्सकों को विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर बुलाया जाए। एमसीआइ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने गंभीरता से मंथन कर इसे मान लिया।
नियम में यह हुआ संशोधन
पुराने नियम के मुताबिक प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक राजकीय मेडिकल कॉलेजों में नहीं पढ़ा सकते थे। एमसीआइ ने चिकित्सा संस्थान (शिक्षक) संशोधन- 2019 में नया खंड जोड़ा। इसके अनुसार न्यूनतम आठ वर्ष की प्रैक्टिस और स्नातकोत्तर की डिग्री वाले विदेशी और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को अंशकालिक आधार पर काम दिया जा सकता है। उनकी उम्र 70 फीसद से अधिक न हो। संबंधित कॉलेज में 50 फीसद से अधिक विजिटिंग फैकल्टी न हों।
इन संस्थानों में नियम लागू नहीं
देश में 529 मेडिकल कॉलेज और 268 राजकीय मेडिकल हैं। यह नियम सभी कॉलेजों में लागू नहीं होगा। नया नियम देश के इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस (राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों) पर लागू नहीं होगा। इसमें सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पीजीआइ चंडीगढ़ और पुडुचेरी का जेआइपीएमईआर शामिल है।
प्राचार्य की अध्यक्षता में होगी कमेटी
विजिटिंग फैकल्टी का चयन प्राचार्य/निदेशक की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी करेगी। अन्य सदस्य में संबंधित विभागाध्यक्ष, एक बाहरी विषय विशेषज्ञ और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के विशेषज्ञ शामिल होंगे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी का कहना है कि एमसीआइ के इस संशोधन से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी। देश-विदेश के विषय विशेषज्ञ अपने अनुभव एवं ज्ञान से छात्र-छात्राओं को काबिल बनाएंगे।