लेफ्टिनेंट कर्नल वी कमल राज की अध्यक्षता वाली आर्मी डॉग यूनिट ने ऑपरेशनल उद्देश्य के लिए आर्मी डॉग्स के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ ऑडियो-वीडियो निगरानी प्रणाली विकसित की है।
लेफ्टिनेंट कर्नल वी कमल राज कहते हैं, “हम अपने सेना के कुत्तों को कई उद्देश्यों के लिए प्रशिक्षित करते हैं, उन्हें सुरक्षा देना हमारी जिम्मेदारी है”।
सेना का डॉग स्क्वाड अपनी चतुराई के लिए प्रसिद्ध हैं और वह अपनी सूंघने की क्षमता से माइनों और जमीन में छुपाए गए विस्फोटकों का पता लगाते हैं। इसके साथ ही ये संदिग्ध व्यक्ति की सूंघकर शिनाख्त कर लेते हैं। जो काम टेक्नोलॉजी नहीं कर पाती वो काम ये डॉग स्क्वाड कर देते है। आपदा के समय में भी मलबे में इंसानों की तलाश में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
जर्मन शेफर्ड नस्ल खतरनाक होने के साथ-साथ काफी चतुर भी होती है। इसलिए भारतीय सेना मुख्यतौर पर इनका प्रयोग संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए करती है।
युद्ध के समय जब वायरलेस का उपयोग करना कठिन होता है, तब ये कुत्ते काफी उपयोगी साबित होते हैं। इन्हें सीक्रेट एजेंट की तरह काम करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।