अब किस हक से गाड़ियों का चालान काटेगी बिहार पुलिस

20 दिन काफी होता है, अगर किसी गाड़ी का फिटनेस फेल हो और उसे वापस फिट करवाना हो तो। गाड़ी पर राज्य के सबसे बड़े वीआईपी चलते हैं, इसलिए वह फिट तो दिखती है… लेकिन फिटनेस सर्टिफिकेट फेल है। बीमा कराना तो उससे भी ज्यादा आसान है। लंबे समय से इंश्योरेंस फेल है तो प्रावधान के अनुसार बीमा कंपनी की ओर से भौतिक निरीक्षण के बाद इंश्योरेंस होता है। यह भी दो-तीन दिन का ज्यादा-से-ज्यादा खेल है। और, प्रदूषण सर्टिफिकेट हासिल करना तो कुछ मिनट में संभव है। ‘अमर उजाला’ ने 08 नवंबर की शाम यह मामला सामने लाया था कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जिस गाड़ी से मुख्यमंत्री आवास तक घूम आ रहे, उसके पास न तो फिटनेस प्रमाणपत्र है, न इंश्योरेंस और न ही नियंत्रित प्रदूषण। खबर प्रकाशित होने के कुछ घंटे बाद, रात करीब साढ़े 12 बजे अपडेट भी की गई। सुबह, यानी 9 नवंबर को संभवत: वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खुलते ही इस गाड़ी के लिए नियंत्रित प्रदूषण का प्रमाणपत्र (PUC) तो बनवा लिया गया, लेकिन बाकी की जरूरत नहीं समझी गई।

राजद के नाम की गाड़ी, लालू की सवारी
यह फोर्स ट्रेवलर स्मूद गाड़ी (BR01PF4647) राष्ट्रीय जनता दल बिहार के नाम पर 18 जून 2015 को निबंधित हुई थी। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद जब से रांची की जेल से निकले हैं, तब से अनगिनत बार इसी गाड़ी से पटना में निकले हैं। कभी सीएम आवास तो कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा पथ की सैर के लिए। इस गाड़ी के आगे-पीछे पुलिस का काफिला चलता है, लेकिन किसी ने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया। जो गाड़ी फिट नहीं, उसपर राज्य के सबसे बड़े वीआईपी का चलना खतरनाक भी है। अगर यह फिट है तो इसके पास नियमानुसार फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए। और, अगर यह सर्टिफिकेट नहीं है तो चालान कट जाना चाहिए। 27 जुलाई 2019 से अबतक किसी ने चालान नहीं काटा। वह भी तब, जबकि नीतीश कुमार सरकार ने इस साल ऑनलाइन चालान के जरिए आम वाहन चालकों को पानी पिला रखा है। इतना ही नहीं, 23 महीने गुजर गए, लेकिन इस वीआईपी गाड़ी को पटना में सड़क पर चलने के लिए इंश्योरेंस की जरूरत नहीं पड़ी। बगैर बीमा सड़क पर निकली गाड़ी का चालान तो कट ही रहा है, साथ ही पुलिस यह भी बताती है कि इसके बगैर अगर हादसा हुआ तो वाहन चालक पर मर्डर का केस हो जाता है।

प्रदूषण प्रमाणपत्र एक दिन में बना, बाकी…
‘अमर उजाला’ ने जब यह मामला सामने लाया तो अगले दिन सुबह ही संभवत: वाहन चालक ने ही खुद जाकर इसके नियंत्रित प्रदूषण का प्रमाणपत्र बनवा लिया। इसका शुल्क मामूली होता है, संभवत: इसे नीचे के स्तर से बनवा लिया गया। फिटनेस और बीमा के संबंध में राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह पुलिस-प्रशासन का काम है, वह जाने। उन्होंने इसकी कुछ जानकारी होने से इनकार किया।

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