गब्बर के नाम से चर्चित अनिल विज को मनो-टू सरकार में छवि के अनुरूप गृह मंत्री की भूमिका मिल गई। अब वह एक्शन मोड में भी हैं। प्रदेश में लंबे समय से गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री अपने पास रख रहे थे।
इससे पहले 1996 में चौ. बंसीलाल ने अपने विश्वासपात्र मनीराम गोदारा को गृह मंत्रालय सौंपा था। सत्तारूढ़ दल में विधायक के रूप में सर्वाधिक अनुभव वाले विज पर सख्ती की जिम्मेदारी दिख रही है जिनसे विपक्ष के नेता पहले ही विचलित होते रहे हैं।
प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनने तथा जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री का पद सौंपे जाने के बाद विज को दी गई जिम्मेदारियां सरकार की कार्यनीति का संदेश देने में कामयाब रहीं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पता है कि जो किसी से नहीं सधे उसे विज साध देते हैं। उनके साथ तो डॉ. अशोक खेमका जैसे आइएएस अधिकारी भी शांति से काम कर लेते हैं।
पिछली सरकार में स्वास्थ्य और खेल विभाग में निर्णयों के कारण विज स्पष्ट विजन वाले नेता के रूप में छवि बनाने में कामयाब रहे। तब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ तालमेल के कुछ सवाल भी उठते थे। सत्ता में दोबारा वापसी के बाद विज में भी बदलाव दिख रहा है।