अभी आपकी दवा डॉक्टर तय करते हैं, मगर वह दिन दूर नहीं जब मशीनें बीमारी का आकलन कर सटीक डोज तय करेंगी। अमेरिका में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस पर बड़ा शोध चल रहा है।

ऐसे में उपचार के क्षेत्र में बड़ा बदलाव तय है। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सोमवार को ‘फ्यूचर ऑफ मेडिसिनÓ पर व्याख्यान हुआ। इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क बफेलो के प्रेसीडेंट प्रो. सतीश कुमार त्रिपाठी मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि बेफेलो यूनिवर्सिटी के ह्यूमन सेंट्रिक विंग में मेडिकल सेक्टर, ऑटोनॉमस व्हीकल व एथिकल वर्क पर रिसर्च चल रहा है। मेडिकल में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। इसके लिए अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों से मरीजों का डाटा कलेक्ट किया गया। इसमें बीमारी, डॉक्टरों द्वारा दी गई दवा, इलाज पर प्रभाव व जेनेटिक स्तर पर आए बदलाव का आकलन किया जा रहा है।
प्रो. सतीश के मुताबिक आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस में हाई टेक्नोलॉजी होगी। इसमें स्पेशल न्यूरल नेटवर्क व सेंसर इंस्टॉल होंगे। जिससे बीमारी की डीप लर्निंग व ऑटोमेटिक लर्निंग क्षमता होगी। इसके कई मॉडल पर शोध चल रहा है।
प्रो. सतीश के मुताबिक हर मर्ज की कई दवा हैं। अभी डॉक्टर किसी भी बीमारी की रिपोर्ट देखकर दवा दे देता है। इसके बाद फायदा न होने पर दवा बदल देता है। वहीं ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में जीनोम्स स्टडी के आधार पर मर्ज में असर करने वाली सटीक दवा तय की जा सकेगी। इससे ड्रग रजिस्टेंस का खतरा टलेगा।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal