‘जोमाटो’ की साख को तगड़ा झटका तब लगा जब एक डिलीवरी बॉय का वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में डिलीवरी बॉय को फूड पार्सल खाते हुए दिखाया गया था। हजारों करोड़ की इस कंपनी के लिए ऐसे झटके नए नहीं हैं। शुरुआत से ही यह नुकसान झेलती रही है और आज उबर और स्वीगी को खासी टक्कर दे रही है।
‘जोमाटो’ जब 2008 में लॉन्च हुई थी तब इसका नाम ‘फूडीबे’ था। उस दौर को इंडियन स्टार्टअप बूम भी कह सकते हैं। आईआईटी दिल्ली से पढ़े हुए दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा ने इसे शुरू किया था। केवल नौ महीने के वक्त में ‘फूडीबे’ दिल्ली-एनसीआर रीजन की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट डायरेक्टरी बन चुकी थी। दो साल बाद 2010 में इसका नाम बदलकर ‘जोमाटो’ रखा गया। इस वक्त तक इसे किसी तरह की खास फंडिंग नहीं मिली थी। इस लॉन्च के बाद 2013 तक ‘जोमाटो’ को ‘इंफो एज इंडिया’ से 16.7 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली। इनकी कंपनी में 57.9 फीसद हिस्सेदारी है। 2013 खत्म भी नहीं हुआ था कि ‘सिक्वाई कैपिटल’ का साथ इसे मिल गया। ‘इंफो एज’ के साथ इन्होंने निवेश की रकम को 37 मिलियन डॉलर तक पहुंचाया। लगभग हर इसे नए निवेशकों साथ मिलता रहा है और 2018 तक इसके खाते में कुल 350 मिलियन डॉलर से ज्यादा फंडिंग थी।
मैपलओएस के अधिग्रहण के बाद ‘जोमाटो’ ने नया कस्टमर डेटा बेस तैयार किया और नए ऑपरेशन्स शुरू किए। इनमें ऑनलाइन टेबल रिजर्वेशन्स और मोबाइल बिल पेमेंट शामिल थे। नतीजा यह हुआ कि 2017 में यह कंपनी 24 देशों में फायदेमंद स्थिति में आ गई। इसी साल इसकी ऑनलाइन ऑडरिंग सर्विस ने 30 लाख ऑर्डर हर माह के माइलस्टोन को पार कर लिया, वो भी जीरो कमीशन मॉडल के आधार पर। इस साल कंपनी ने दावा किया कि उनका रेवेन्यू 81 फीसद की दर से बढ़ा है।
2016 ‘जोमाटो’ के लिए अच्छा नहीं था, कंपनी को श्रीलंका, यूएस, यूके, चिली, कनाडा और इटली सहित नौ देशों से अपना काम सीमित करना पड़ा। 2017 में इस पर सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ। हैकर ने 1.7 करोड़ यूजर रिकॉर्ड पर सेंध मारी। इस संकट से कंपनी तब ही निकल पाई जब हैकर से बात की, जो सिर्फ यह साबित करना चाहता था कि सिक्योरिटी सिस्टम में काफी लूपहोल्स हैं। चर्चाओं में भी यह कंपनी काफी रही, खासतौर पर तब जब को-फाउंडर पंकज चड्ढा ने इसे बिना किसी वजह से कंपनी का साथ छोड़ दिया। इसी तरह कुछ और बड़ी जगहें बेहद कम वक्त में खाली हो गईं।
अब यह कंपनी दस साल की हो चुकी है। भविष्य बेहतर नजर आ रहा है क्योंकि ‘जोमाटो गोल्ड’ और ऑन लाइन फूड डिलीवरी में इसके बिजनेस टाईअप्स रंग ला रहे हैं। भारत में तो इसका कंज्यूमर बेस भी खासा तगड़ा हो चुका है। जल्द ही ट्रेनों में यह डिलीवरी शुरू करने वाली है। 5000 लोगों को इस कंपनी से रोजगार आने वाले वक्त में मिलने वाला है।