अगले राहत पैकेज में नगद नहीं राहतकारी उपाय के पक्ष में सरकार, जानें इसका कारण

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार जल्द ही अगले राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है, लेकिन इस पैकेज के तहत सरकार खाते में नकदी देने के पक्ष में नहीं है। खाते में नकदी देने पर लोग उसे खर्च करने के बजाय बैंक में जमा रखना अधिक पसंद कर रहे हैं। जबकि सरकार का उद्देश्य उन पैसों को खर्च कराना है ताकि अर्थव्यवस्था में खपत बढ़े और नई मांग का सृजन हो। इसलिए अगले पैकेज में ऐसी स्कीम शामिल की जा रही है जिसके तहत बचत की गुंजाइश नहीं हो। लॉकडाउन आरंभ होने के तुरंत बाद सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया था जिसके तहत महिला जनधन खाते में प्रतिमाह 500-500 रुपए दिए गए। लेकिन जनधन खातों में जमा राशि के आंकड़े बताते हैं कि लोगों ने खर्च की जगह पैसे को जमा करने पर अधिक फोकस किया। 

एसबीआई इकोरैप के आंकड़ों के मुताबिक महिला जनधन खाते में सरकार की तरफ से 500-500 रुपए देने की घोषणा के बाद भारी संख्या में खाते खुले। इस साल 14 अक्टूबर तक जनधन खातों की संख्या 41.05 करोड़ थी और इन खातों में 1,30,741 करोड़ रुपए जमा थे। इस साल एक अप्रैल से लेकर गत 14 अक्टूबर तक 3 करोड़ नए खाते खोले गए जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 60 फीसद अधिक है। 

एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल से लेकर मध्य अक्टूबर तक जनधन खातों की जमा राशि में 11,060 करोड़ की बढ़ोतरी हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में जनधन खातों की जमा राशि में 7857 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी।

वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक जनधन खाते में जमा रकम को देखते हुए अब शहरी बेरोजगार कर्मचारियों या किसी अन्य की मदद उनके खाते में सीधे तौर पर पैसे देकर नहीं की जाएगी। सरकार वैसी स्कीम या उन उपायों को पैकेज में शामिल करेगी जिसके तहत लोग अधिक से अधिक खर्च करे और अर्थव्यवस्था की गाड़ी रफ्तार पकड़ सके। नए साल से पहले अगले राहत पैकेज की घोषणा की उम्मीद की जा रही है। 

बड़ी कंपनियां भी ले सकेंगी एमएसएमई स्कीम वाले लोन

इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ की लोन योजना का फायदा अब बड़ी कंपनियां भी उठा सकेंगी। वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जल्द ही वित्तीय सेवा विभाग इस मामले में नोटिफिकेशन जारी कर सकता है।

ईसीएलजीएस के तहत लोन लेने की अवधि गत 31 अक्टूबर को समाप्त हो गई थी जिसे आगामी 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। 31 अक्टूबर तक लगभग 2 लाख करोड़ रुपए के लोन की मंजूरी दी गई थी और अभी एक लाख करोड़ रुपए की मंजूरी देने की गुंजाइश है।

औद्योगिक संगठनों ने सरकार से इस स्कीम में बड़ी कंपनियों को भी शामिल करने की गुजारिश की थी। सरकारी भी इस बात को समझ रही है कि छोटे उद्यमी अगर लोन में बहुत दिलचस्पी ले रहे होते तो 31 अक्टूबर तक 3 लाख करोड़ के लोन की मंजूरी हो जाती।

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