अगर इस कोच की नहीं पड़ती नज़र तब कहां होता करियर : जसप्रीत बुमराह

मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड के तीसरे दिन का खेल ख़त्म होने तक भारतीय टीम सिरीज़ में बढ़त बनाने की स्थिति में दिख रही है तो इसकी सबसे बड़ी वजह जसप्रीत बुमराह हैं.

बुमराह ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में 15.5 ओवरों की गेंदबाज़ी में 33 रन देकर छह विकेट चटकाए. उनके इस छह विकेट में एक ओर शीर्षक्रम के तीन बल्लेबाज़ हैं तो दूसरी ओर आख़िरी के तीन विकेट.

ख़ास बात ये है कि बुमराह ने ऑस्ट्रेलियाई पारी में चार स्पैल में गेंदबाज़ी की और चारों स्पैल में उन्होंने भारतीय कप्तान विराट कोहली को कामयाबी दिलाई.

ऐसी कामयाबी कि उनके तीसरे स्पैल के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क कमेंट्री करते हए बोल गए कि बुमराह उन्हें रेयान हैरिस की याद दिला रहे हैं, जिन्हें वे तब गेंद थमाते थे, जब उन्हें विकेट हासिल करने की ज़रूरत होती थी.

बहरहाल, उससे पहले बुमराह जिस तरह से एक 142 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के ठीक बाद 115 किलोमीटर की रफ़्तार वाली स्लो यॉर्कर फेंक कर शॉन मार्श को आउट किया, उस गेंद को देख कर क्रिकेट के विश्लेषक बुमराह की तारीफ़ करते नहीं थक रहे हैं.

ये कहा जा रहा है कि बुमराह का अपनी गेंदों पर ग़ज़ब का नियंत्रण है.

25 साल के बुमराह ने अपनी इस खासियत को समय समय पर ज़ाहिर किया है. लेकिन इसका पहला पाठ उन्होंने अपनी मां से सीखा था. गुजरात के अहमदाबाद में, 6 दिसंबर 1993 को अहमदाबाद के एक बिजनेस करने वाले परिवार में जन्मे बुमराह की जिंदगी ने उतार चढ़ाव झेले हैं.

महज सात साल के बुमराह थे, जब उनके पिता का निधन हो गया. उसके उनकी मां दलजीत बुमराह जो प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल थीं और उन्होंने सिंगल पैरेंट को तौर पर अपने बच्चों को बड़ा किया.

बुमराह बचपन से टीवी पर तेज गेंदबाजों की नकल करने लगे थे और अपनी घर की दीवार के सहारे तेज गेंदबाज़ी की प्रैक्टिस करने लगे थे. गेंद के लगातार दीवार से टकराने वाली आवाज़ की शोर ने एक दिन शिक्षिका मां को इतना परेशान किया कि उन्होंने कह दिया कि आवाज़ कम हो तभी खेल सकते हो नहीं तो खेलना बंद.

बुमराह का वो नायाब तरीका

बुमराह ने इसका नायाब तरीका निकाला, वे लगातार कोशिश करके गेंद वहां फेंकने लगे जहां से दीवार शुरू होती थी, यानी उस कोन पर जहां फर्श और दीवार मिलते थे, इसके चलते गेंद से होने वाली आवाज़ बेहद कम हो गई और बुमराह की प्रैक्टिस जारी रही.

बचपन से तेज़ गेंदबाज़ों की नकल करते करते बुमराह का एक्शन कब अनोखा बन गया है, ये उनको भी नहीं पता. लेकिन अगर आप उनके एक्शन को देखें तो लगता है कुछ अलग है. ये कुछ अलग है ही बुमराह के जीवन की पहचान बनने वाली थी.

उनकी अजीबोगरीब एक्शन के चलते बल्लेबाज़ अमूमन चकमा खाते रहे और स्कूली क्रिकेट से बुमराह की पहचान ऐसी बनी कि उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के कैंप में चुन लिया गया, फिर वे एमआरएफ़ फाउंडेशन भी पहुंचे और देखते देखते गुजरात अंडर-19 की टीम के लिए भी चुन लिए गए.

बुमराह ने जब पहले ही मैच में सौराष्ट्र अंडर-19 के बल्लेबाज़ों को छकाना शुरू किया तो तब के गुजरात के रणजी कोट हितेश मजूमदार और टीम प्रबंधन ने उन्हें सैय्यद मुश्ताक अली टी20 मैच में मौका देने का फ़ैसला कर लिया.

ये साल था 2013 का, इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए बुमराह ने गुजरात की टीम को चैंपियन बनाने में अहम योगदान निभाया, फ़ाइनल में उन्होंने तीन विकेट चटकाए थे. लेकिन उनकी किस्मत दूसरी वजह से चमकी.

तब मुंबई इंडियंस के कोच जान राइट पुणे में चल रही सैय्यद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट देखने पहुंचे थे और उनकी नज़र जसप्रीत बुमराह पर टिक गई थी.

उन्होंने उनका कांट्रैक्ट मुंबई इंडियंस के साथ कराया और देखते देखते हुए जसप्रीत बुमराह पहुंच गए उस ड्रेसिंग रूम में जहां सचिन तेंदुलकर जैसे जीनियस और लसिथ मलिंगा जैसे गेंदबाज़ मौजूद थे.

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