खुली आंखों से देखे स्वप्नों की दुनिया हमें आगे बढ़ाती है। यह हमारी पॉजिटिव सोच से उपजे होते हैं। लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं। इसके विपरीत सोते वक़्त देखे गए सपने मिश्रित फलकारक होते हैं। अच्छे स्वपन हमें खुशी देते हैं। नकारात्मक सपनों से हमारा मन कई प्रकार की आशंकाओं से भर जाता है। कहा यह भी जाता है कि प्रातः के वक़्त देखे गए सपने सच होते हैं। सपनों पर नियंत्रण के लिए दुःस्वप्न नाशक सूर्य स्तुति सर्वश्रेष्ठ है।
दुःस्वप्न नाशक सूर्य स्तुति बुरे सपने के असर से बचाती है। नकारात्मक भावों वाले स्वप्न को आने से रोकती है। इस स्तुति का पाठ प्रातः में करें। इससे देखे गए स्वप्न का असर समाप्त हो जाता है।
आदित्यः प्रथमं नाम, द्वितीयं तु दिवाकरः
तृतीयं भास्करं प्रोक्तं, चतुर्थं च प्रभाकरः
पंचमं च सहस्त्रांशु, षष्ठं चैव त्रिलोचनः
सप्तमं हरदिश्वश्च, अष्टमं च विभावसुः
नवमं दिनकृत प्रोक्तं, दशमं द्वादशात्मकः
एकादशं त्रयीमूर्त्तिर्द्वादशं सूर्य एव च
द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः
दुःस्वप्ननाशनं सद्यः सर्वसिद्धि प्रजायते
सूर्य की यह स्तुति दुःस्वप्नों के असर को उसी तरह समाप्त कर देती है जिस तरह सूर्य अंधकार समाप्त करता है। आकाश में फैले उजाले के समान यह स्तुति आशंकाओं से मुक्त कर आशाओं का संचार करती है।