राज्यसभा चुनाव में अपने इकलौते प्रत्याशी की हार के बाद शनिवार को मीडिया के सामने आई बीएसपी प्रमुख मायावती ने बीजेपी पर जमकर वार किया. मायावती ने कहा कि बीजेपी ने इन चुनावों में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने धनबल का इस्तेमाल किया है. बीजेपी ने इन चुनावों को निर्विरोध ना करवाने के लिए अपना एक प्रत्याशी उतारा ताकि विधायकों की खरीद फरोख्त और तोड़पोड़ की संभावना बढ़ जाए.
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने बीएसपी के प्रत्याशी को रोकने के लिए सारे हथकंडे अपनाए. मायावती ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर की हार के बाद बीजेपी को दिन में तारे दिखने लगे थे. इसके बाद बीजेपी ने सपा बसपा गठबंधन तोड़ने के लिए राज्यसभा चुनाव में हथकंडा अपनाया.
मायावती ने कहा कि आम जनता की प्रतिक्रिया यह है कि पीएम मोदी और योगी ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है. सरकारी आतंक व भय का माहौल पैदा करके धन्ना सेठ का चुनाव जितवाया है. बीएसपी प्रमुख ने कहा कि बीजेपी ने कई विधायकों को डराया, उन्हें धमकी दी जिसके कारण कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. उन्होंने कहा कि जो भी विधायक डरे नहीं और अंत तक डटे रहे उनको मैं बधाई देती हूं.
अखिलेश को दी सलाह
यदि अखिलेश यादव कुंडा के गुंडे के मकड़जाल में ना फंसते तो शायद हम यह सीट बचा पाते. मायावती ने कहा कि कल अखिलेश थोड़ी चूक कर गए. यदि मैं इनकी जगह होती तो पहले सपा के उम्मीदवार को जितवाने की कोशिश करती. मुझे विश्वास है कि अखिलेश यादव धीरे-धीरे तजुर्बेकार हो जाएंगे. जिस खास मकसद से बीजेपी और संघ के लोगों ने बीएसपी के प्रत्याशी को हरवाया है उससे यह गठबंधन टूट जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं होगा. कल के नतीजों से गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी का षड़यंत्र महंगा पड़ने वाला है. लोकसभा आम चुनाव में सपा-बसपा के लोग पूरी ताकत झोंक देंगे.
सरकारी तंत्र का दुरुपयोग
मायवती ने कहा कि बीएसपी और सपा के एक-एक विधायक को वोट डालने से रोकने के लिए बीजेपी सरकार ने शक्ति व संसाधन लगा दिए थे. उन्होंने कहा कि विधायकों को सदन की कार्यवाही व वोट डालने के लिए जेल बाहर लाया जाता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.
गोरखपुर-फूलपुर के दाग धुलने वाले नहीं
इस राज्यसभा चुनाव परिणाम पर बीजेपी के नेताओं द्वारा लड्डू खाकर खुशियां मनाने का सवाल है, तो यह गोरखपुर और फूलपुर का बदला नहीं हो सकता है. क्योंकि वहां जनता ने सीधा वोट किया है. यहां इन्होंने खरीद फरोख्त किया है. चाहे कितने भी लड्डू खा लें, गोरखपुर में बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर की हार का दाग इससे धुलने वाला नहीं है. ये तो खरीद फरोख्त का मामला है. इस मामले में बीजेपी के नेता एक्सपर्ट है.
बागी को किया बाहर
अपनी पार्टी के विधायक द्वारा क्रॉस वोटिंग पर मायावती ने कहा कि केवल बीएसपी के एक विधायक ने दगाबाजी की है जो अपने व्यावसायिक स्वार्थ में आ गया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने उस विधायक को निलंबित कर दिया है.
कैलाश सोनकर का शुक्रिया
मायावती ने कहा कि बीजेपी के सहयोगी विधायक कैलाश नाथ सोनकर ने अपनी अंतर आत्मा की आवाज और बीजेपी की दलित विरोधी नीति के खिलाफ बीएसपी को वोट दिया इसके लिए उनका शुक्रिया. यदि उन्हें परेशान किया गया तो हमारी पार्टी पीछे नहीं हटेगी और उनका साथ देगी. मायवती ने कहा कि बीएसपी कांग्रेस पार्टी और सपा के विधायकों का धन्यवाद देती है.
आरएलडी के बारे में सोचना पड़ेगा
बीजेपी के सहयोगी श्रीवेणी राम ने भी पहला वोट सपा और दूसरा बीजेपी को वोट दिया जिससे उनका वोट रिजेक्ट हो गया. बीएसपी प्रमुख ने कहा कि हमें आरएलडी के विधायक का वोट नहीं मिला है. इनका वोट अवैध कराया गया है. जानबूझकर उस वोट को अवैध कराया गया. अब हमें आरएलडी के मामले में चिंतन की जरूरत है.
अखिलेश का गेस्ट हाउस कांड से कुछ लेना-देना नहीं
मायावती ने कहा कि बीजेपी के लोग 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड की याद दिला रहे है. गेस्ट हाउस कांड हुआ था उस वक्त अखिलेश यादव का कोई लेना देना नहीं है. अखिलेश को इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.जिसकी देखरेख में गेस्ट हाउस कांड करवाया था उसी पुलिस अधिकारी को यूपी की योगी सरकार ने पुलिस प्रमुख बनाया हुआ है. यह सब हमारे लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा नहीं है तो क्या है.
अब 2019 में बीजेपी को हराना प्रमुख उद्देश्य
बीएसपी प्रमुख ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए कहा. ‘मैं अपनी पार्टी के बारे में एक बाद जरूर स्पष्ट कर देना चाहती हूं. लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे है. इसलिए अब हमारी पार्टी यूपी सहित पूरे देश में जहां भी उपचुनाव होंगे वहां कार्यकर्ताओं को नहीं लगाएगी.’ उन्होंने कहा कि अब पार्टी अपने जनाधार को बढ़ाने में ताकत लगाएगी. ताकि बीजेपी को हर हालत में केंद्र की सत्ता में आने से रोका जा सके.
बीजेपी से गठबंधन करे तो बीएसपी अच्छी?
जबसे यूपी में सपा बसपा की थोड़ी नजदीकी बढ़ी है. तब से बीजेपी के लोग अनर्गल प्रचार करने में लगे हैं. इस मामले में बीजेपी के लोग अमर्यादित बयान दे रहे हैं. यह उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है. बीजेपी के नेताओं ने 1999 में 2002 में बीएसपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी. जब बीएसपी बीजेपी के साथ गठबंधन करे तो बीएसपी बहुत अच्छी है लेकिन अन्य पार्टी के साथ तालमेल करे तो बीएसपी बहुत बुरी है.
बीजेपी ने झूठे मामले में फंसाया था
बीजेपी के लोग भूल गए कि बीएसपी के सर्वोच्च नेतृत्व के खिलाफ इनका (बीजेपी) रवैया कितना जहरीला रहा है. 25 अगस्त 2003 को बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर क्यों अचानक इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था? बीजेपी चाहती थी कि लोकसभा में 60 सीटे मिले आप 20 सीटों पर लड़ो और आप हमेशा के लिए सीएम बने. फिर सत्ता से अलग होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा मेरे खिलाफ फर्जी मामला दर्ज किया गया था. क्या ये षड़यंत्र सही था. इस मामले को कांग्रेस ने भी लटकाया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हमें न्याय मिला.