चीन ने भारत से विवाद बढ़ा तो लिया है लेकिन अब उसे दुनियाभर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है. दुनिया की महाशक्तियां खुलकर भारत के साथ आ गई हैं. गलवान में भारत और चीन के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद महाशक्तियों ने भारतीय सेना (Indian Army) के शहीदों के लिए संवेदना जाहिर की है और चीन की सेना पर उकसाने का आरोप लगाया है. भारत के सैनिकों की शहादत पर दुनिया की महाशक्तियां तकलीफ महसूस कर रही हैं. भारत को दुनिया का ये समर्थन अब चीन को डरा रहा है.
भारत को रफाल जैसा घातक लड़ाकू विमान देने वाले फ्रांस ने किस तरह गलवान के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. फ्रांस की रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि फ्रांस की सेना भारतीय सेना के शहीदों के परिजनों के साथ खड़ी है. चीन के लिए इस बयान को फ्रांस का कड़ा संदेश माना जा रहा है.
दुनिया के सबसे खतरनाक लड़ाकू विमानों में शामिल रफाल भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी का सबसे बड़ा उदाहरण है लेकिन भारत और फ्रांस की दोस्ती रणनीतिक साझीदारी से कहीं ज्यादा है. चीन के साथ जारी विवाद के बीच फ्रांस से आई एक खबर ने चीन को साफ संदेश दे दिया कि भारत और चीन के बीच जारी विवाद में फ्रांस भारतीय सेना के साथ है. फ्रांस की रक्षा मंत्री ने गलवान घाटी में शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी है. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे अपने पत्र में फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पर्ले ने कहा यह जवानों, उनके परिवारवालों और देश के लिए एक झटका है. इस मुश्किल घड़ी में मैं दोस्त भारत के प्रति फ्रांस सेना की तरफ़ से दोस्ती प्रकट करती हूं। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप मेरी श्रद्धांजलि पूरी भारतीय सेना और शहीदों के परिवारवालों को दें.
गलवान शहीदों को श्रद्धांजलि, चीन को फ्रांस का संदेश
फ्रांस की भारत से दोस्ती सिर्फ संवेदनाओं तक सीमित नहीं है. फ्रांस की रक्षा मंत्री ने भारत को अच्छा दोस्त बताते हुए रक्षा मंत्री से मुलाकात करने की बात भी कही है. साफ है इस वक्त भारत के रक्षा मंत्री से मुलाकात की बात चीन को कड़ा संदेश है. चीन के साथ जारी तनाव के बीच फ्रांस ने भारत को मिलने वाले रफाल लड़ाकू विमानों की संख्या भी बढ़ा दी है. अब भारत को पहली खेप में 4 के बजाय 6 रफाल लड़ाकू विमान मिलेंगे.
27 जुलाई को मिलेंगे 6 रफाल
फ्रांस दुनिया की एक महाशक्ति है जो चीन के खिलाफ भारत के साथ है. वैसे तो भारत की सेना अपने दम पर चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार है लेकिन भारत की फ्रांस जैसी महाशक्तियों से दोस्ती भी चीन को भारी पड़ सकती है. फ्रांस जैसी महाशक्ति के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सुपर पावर अमेरिका भी गलवान के शहीदों के साथ है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने गलवान के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और चीन की सेना के साथ-साथ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को दुष्ट तक कह दिया. अमेरिका भारत के खिलाफ मोर्चो खोलने वाले चीन पर लगातार दबाव बढ़ा रहा है.
चीन-अमेरिका के बीच की खाई और बढ़ी
भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती जितनी मजबूत होती जा रही है. चीन और अमेरिका के बीच की खाई उतनी ही बढ़ती जा रही है. दुनिया की महाशक्ति अमेरिका भी उन देशों में शामिल है. जिसने गलवान के बाद सबसे पहले भारतीय सैनिकों के साथ संवेदना जाहिर की थी. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था. चीन के साथ हुए विवाद में भारत के जिन जवानों की जान गई है, उन्हें हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस दुख की घड़ी में हम उन जवानों, उनके परिवार, उनके चाहने वालों और भारत के लोगों के साथ हैं. गलवान के शहीदों के प्रति संवेदना प्रकट करने वाले अमेरिका ने चीन को खरी खरी भी सुनाई थी और लद्दाख में जारी संघर्ष की वजह चीन की विस्तारवादी नीति को बताया था.
अमेरिका चीन की हर चाल को पहचानता है. चीन भी इस बात को समझता है इसलिए बार बार भारत को अमेरिका से दूर रहने की नसीहत देता है लेकिन चीन ने जिस तरह का मोर्चा भारत के खिलाफ खोला है, भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंध और ज़्यादा मज़बूत होने तय हैं.
अमेरिका और फ्रांस जैसी महाशक्तियां अगर भारत के समर्थन में खुलकर आ गई हैं तो जो देश चीन से पीड़ित हैं उन्हें भी भारत में उम्मीद दिखाई दे रही है. चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा किया है. अब तिब्बत के लोग भी भारतीय सेना का समर्थन कर रहे हैं. इससे पहले ताइवान के लोग भी गलवान के बाद भारत के पक्ष में खड़े हुए थे. चीन के साथ भारत के बढ़ते तनाव के बीच जापान की नौसेना ने तो भारत के साथ युद्धअभ्यास करके चीन को बड़ी चुनौती दी है.