अंबाला: अक्टूबर शुरू होते ही ठप हो गया ग्लासवेयर कारोबार

कारोबारियों ने बताया कि नई अधिसूचना के अनुसार सबसे पहले तो कागजी कार्यवाही पूरी रखनी होगी। मसलन कहां से माल आया, कहां गया, कहां बनाया, कितना टूटा, कितने नमूने पास हुए कितने नमूने फेल हुए आदि जानकारियों का रिकॉर्ड रखना होगा।

अंबाला में ग्लासवेयर इंडस्ट्री का काम ठप हो गया है। इसका कारण केंद्र के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से लागू नया कानून है। इसके तहत अब ग्लासवेयर इंडस्ट्री को आईएसआई मार्का की गुणवत्ता के ग्लास का प्रयोग करना पड़ेगा।

बड़े कारोबारियों पर तो यह कानून अगस्त से लागू हो गया था। अक्टूबर से छोटे कारोबारियों पर भी इसे लागू होना था। अब जब अक्टूबर के दो सप्ताह बीत चुके हैं तो यह कानून लागू भी है और इसके कारण इंडस्ट्री का काम ठप पड़ गया है। हालात यह हैं कि अंबाला में करोड़ों रुपये का स्टॉक गोदामों में पड़ा है और अब कारोबारियों को इसकी बिक्री का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। क्योंकि इसको लेकर नियम इतने सख्त हैं कि गैर आईएसआई मार्का का माल बिक्री होता पाया जाता है कि अधिसूचना के अनुसार दो साल की कैद और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना भी है।

काराेबारियों का कहना है कि अब इसी डर से उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि वह अपने स्टॉक का क्या करें। इधर पूर्व में वाणिज्य मंत्रालय के साथ आईएसआई मार्का को लेकर जो कारोबारियों की बैठक हुई उसमें भी समाधान नहीं मिल सका है। उल्लेखनीय है कि अंबाला से साइंस के साथ साथ ग्लासवेयर का सामान भी देश के साथ-साथ कई देशों को जाता है। इसमें अड़चन पड़ने के कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है।

जनवरी से सूक्ष्म उद्योग भी आएंगे दायरे में
अंबाला साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (असीमा) के महासचिव गौरव सोनी बताते हैं कि अक्टूबर से इस नियम के दायरे में एक करोड़ से कम की टर्नओवर वाले कारोबारी आए हैं। अब एक जनवरी से सभी सूक्ष्म इकाइयाें को भी आईएसआई ग्रेडिंग के साथ ही साइंस उत्पादों की बिक्री करनी होगी। अब कारोबारियों के पास करोड़ों रुपये का माल स्टॉक में है, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि माल को कहां बेचें। उनकी पूर्व में मंत्रालय में आईएसआई ग्रेडिंग को देख रहे अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, मगर इसमें भी कोई सार्थक समाधान नहीं निकल पा रहा है।

टेस्टिंग के लिए कोलकाता भेजना होगा माल
कारोबारियों ने बताया कि नई अधिसूचना के अनुसार सबसे पहले तो कागजी कार्यवाही पूरी रखनी होगी। मसलन कहां से माल आया, कहां गया, कहां बनाया, कितना टूटा, कितने नमूने पास हुए कितने नमूने फेल हुए आदि जानकारियों का रिकॉर्ड रखना होगा। जिन कारोबारियों का बिजनेस एक करोड़ रुपये से ऊपर का है उन्होंने अपने बड़े बड़े प्लांटों में ग्लासवेयर उत्पादों की जांच के लिए लैब भी स्थापित कर ली हैं, मगर जो छोटे कारोबारी हैं उन्हें कोलकाता स्थित सरकारी लैबोरेटरी में जांच के लिए उत्पादों के मेटेरियल को भेजना होगा।

अब हर लॉट की जांच होगी या दो चार की जांच होगी अभी कारोबारियों को यह तक साफ नहीं है। वहीं प्रदेश सरकार के गठन के बाद ही कारोबारी एक बार फिर से कोशिश करेंगे अपनी मांग सरकार तक मजबूती से रख सकें। हैरानी की बात तो यह है कि अब बाजार में मांग भी काफी कम रह गई है, क्योंकि सभी इंतजार कर रहे हैं कि नया आईएसआई ग्रेड का माल ही खरीदें। कारोबारी बताते हैं कि वह अभी करीब 70 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से कांच चीन से खरीद रहे हैं , अब इसे कबाड़ में भी बेचें तो 70 पैसे प्रति किलोग्राम के रेट मिलेेंगे। ऐसे में इस रेट में उनको काफी नुकसान होगा।

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