एक समय की बात है किसी तीर्थ नगरी में तीर्थ यात्रियों के मार्ग पर एक अंधा भिखारी भीख मांग रहा था। एक नेक दिल धर्मपरायण व्यक्ति ने उसके पास आकर पूछा – बाबा एक बात बताअो। क्या इस राह से गुजरने वाले सभी यात्री आपको दान दे रहे है।
अंधे भिखारी की तख्ती पर कुछ लिखकर गले में टांग दिया
अंधे भिखारी ने उसे अपना कटोरा दिखाया जिसमें केवल दो खोटे सिक्के पड़े थें। यात्री को इस पर बहुत दुख हुआ। उसने भिखारी से कहा कि मैं एक तख्ती पर कुछ लिखकर आपके गले में टांग देता हूं। शायद इससे आपका कुछ भला हो जाए। इस तरह वह यात्री तख्ती पर कुछ लिखकर चला गया और शाम के वक्त वह यात्री अंधे भिखारी से वापस मिलने आया ।
उसने पाया कि भिखारी उस समय बहुत खुश था। भिखारी ने बाबा से उनकी खुशी का कारण पूछा। बाबा ने बताया। उसे कभी भीख में इतने पैसे नहीं मिले थे जितने आज के दिन मिल गए।आपने इस तख्ती पर क्या लिखा है, भिखारी ने धन्यवाद देते हुए यात्री से पूछा।
मैंने सिर्फ इतना ही लिखा है कि आज मौसम का सबसे खूबसूरत दिन है, सूरज अपनी रोशनी बरसा रहा है और मैं अंधा हूं।