मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच पवित्र ग्रंथ गीता व ब्रह्मसरोवर पूजन एवं गीता यज्ञ के साथ वीरवार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आगाज हुआ। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सहभागी देश तंजानियां के जांजीबार क्षेत्र के सांस्कृतिक एवं खेल मंत्री टीएम माविता, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने गीता यज्ञ में पूर्ण आहुति भी डाली।
पंडित बलराम गौतम, पंडित सोमनाथ शर्मा, गोपाल कृष्ण गौतम, अनिल व रुद्र द्वारा श्लोकोच्चारण के बीच पवित्र ग्रंथ गीता का महापूजन करवाया गया तो वहीं हवन यज्ञ के दौरान किए श्लोकोच्चारण व शंखनाद से पूरा वातावरण गीतामय हो उठा। इससे पहले तंजानिया के पवेलियन का उद्घाटन किया गया तो वहां के खान-पान, रहन-सहन, परिधानों को दर्शाने वाले स्टॉल का अवलोकन भी किया।
इसके साथ ही प्रदेश सरकार की 10 साल की उपलब्धियों को दर्शा रही जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की तरफ से पुरुषोत्तमपुरा बाग में लगाई प्रदर्शनी भी देखी तो वहीं बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने सरस्वती रिवर चैनल मॉडल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने ब्रह्मसरोवर के जल से आचमन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से पवित्र ग्रंथ गीता का संदेश देश-दुनिया के कौने-कौने तक जाएगा। महोत्सव में हर साल लाखों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं। इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में तंजानिया सहयोगी देश और ओडिशा सहयोगी राज्य के रुप में शिरकत कर रहा है। इसी धरा पर 5162 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का अमर संदेश दिया था, जो आज भी पूरी मानवता के लिए प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि गंगा के जल से मुक्ति प्राप्त होती है, जबकि वाराणसी की भूमि और जल में मोक्ष देने की शक्ति है, परंतु कुरुक्षेत्र के जल, थल और वायु तीनों ही मुक्ति के दाता है। इस पावन धरा पर सरस्वती के तट पर ही वेद, उपनिषेदों और पुराणों की रचना हुई। इतना ही नहीं सम्राट हर्षवर्धन की वैभवशाली राजधानी थानेसर भी यहीं पर है। कुरुक्षेत्र की इसी महता को जानते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने इसे महाभारत युद्ध के लिए चुना था, यहीं पर अर्जुन को कर्मयोग का दिव्य संदेश दिया, जो आज भी मानव के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
वर्ष 2019 से यह महोत्सव मॉरीशस, लंदन, कनाडा, आस्ट्रेलिया व श्रीलंका में भी मनाय गया। इन प्रयासों से पवित्र ग्रंथ की ख्याती और गीता महोत्सव की लोकप्रियता आज भी विश्व के कोने-कोने तक पहुंच रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता केवल दार्शनिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसकी व्यावहारिक जीवन में भी उपयोगिता है। यहीं कारण है कि गीता भारतीयों को ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी प्रिय है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि यह महोत्सव आमजन का महोत्सव बन चुका है और पूरे देश और विदेश के लोग इस महोत्सव के साथ जुड़ चुके हैं।इस मौके पर हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, पूर्व विधायक डाॅ. पवन सैनी, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील राणा, जय भगवान शर्मा डीडी, सुभाष कलसाना, केडीबी सीईओ पंकज सेतिया, केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, कुरुक्षेत्र 48 कोस निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सदस्य डाॅ. ऋषिपाल मथाना, अशोक रोशा, एमके मोदगिल सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।