बदलते दौर को देखते हुए भारत ने अंतरिक्ष के जरिए देश की निगहबानी की तैयारी शुरू कर दी है. अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा ताकत बढ़ाने का जिम्मा इसरो और डीआरडीओ को सौंपा गया है. माना जा रहा है कि पिछले महीने ऐंटी-सैटलाइट (ASAT)मिसाइल का सफल परीक्षण इसी कड़ी का एक हिस्सा है. भारत भविष्य को देखते हुए अंतरिक्ष में दुश्मन के इरादों को चकनाचूर करने की क्षमता विकसित कर रहा है. डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शनिवार को कहा कि सेटेलाइट विरोधी मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही भारत अंतरिक्ष में 1000 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्य को भेदने में समर्थ है और वैश्विक अंतरिक्षीय संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए इस मिशन निचली कक्षा का चयन किया गया.
भारत के पास हैं कई लांचर
जब उनसे पूछा गया कि क्या एक साथ कई सेटेलाइटों को नष्ट किया जा सकता है तो उन्होंने कहा, ‘प्रश्न यहां यह उठता है कि हमारे पास कितने लांचर हैं और कई लांचर होने पर विभिन्न सेटेलाइटों को निशाना बनाया जा सकता है. लेकिन, विविध (लक्ष्य) अवश्य ही व्यावहारिक हैं.’
भारत के पास निचली कक्षा के उपग्रहों को नष्ट करने ताकत
रेड्डी ने यहां डीआरडीओ भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ए सैट का सफल परीक्षण किया गया और धरती की निचली कक्षा में इंटरसेप्टर मिसाइल ने एक घूमते सेटेलाइट को मार गिराया. इस इंटरसेप्टर में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता है जिसमें ज्यादरत निचली कक्षा के उपग्रह आते हैं.’
नासा के दावे को इसरो ने नकारा
रेड्डी ने कहा, ‘क्षमता प्रदर्शन के लिए परीक्षण हेतु करीब 300 किलोमीटर की कक्षा चुनी और इसका मकसद वैश्विक अंतिरक्षीय संपत्तियों को मलबे से खतरा पहुंचाने से रोकना है.’ उन्होंने कहा, ‘परीक्षण के बाद पैदा हुआ मलबा कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा.’
मंगलवार को नासा ने उसके एक उपग्रह को भारत की तरफ से मार गिराए जाने को ‘भयावह’ बताया और कहा कि इस मिशन के चलते अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े बिखर गए.