वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड में बर्फ की परत के मौजूद 56 अज्ञात सबग्लेशियल झीलों की खोज की है। इन्हें मिलाकर अब कुल ज्ञात झीलों को संख्या 60 हो जाएगी। पहले वैज्ञानिकों का अनुमान था कि ग्रीनलैंड में बर्फ में दबी झीलें अप्रत्याशित रूप से काफी बड़ी होंगी पर ये झीलें अंटार्कटिका की तरह ही छोटी और सामान्य हैं। नेचर कम्युनिकेशंस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने ग्रीनलैंड का रेडियो इको साउंडिंग डेटा का विश्लेषण किया। इस तकनीक के जरिये बर्फ के नीचे दबी झीलों का पता लगाया जाता है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं की टीम ने 54 सबग्लेशियल झीलों की पहचान की है। साथ ही साथ दो ऐसी जगहों का पता लगाया है जहां बर्फ की सतह अपेक्षाकृत ज्यादा उठी हुई है।
ब्रिटेन की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के जेड बॉलिंग ने कहा कि शोधकर्ताओं को अंटार्कटिक सबग्लेशियल झीलों की अच्छी समझ है, जो बर्फ के पिघलने से भरती और बहती हैं। अब तक ग्रीनलैंड में बर्फ के नीचे मौजूद सबग्लेशियल झील वितरण और व्यवहार के बारे में बहुत कम जानकारी हमारे पास थी। इस अध्ययन ग्रीनलैंड के बारे में हमारी ज्ञान बढ़ाएगा।
बॉलिंग ने कहा कि ये सबग्लेशियल झीलें हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम और बर्फ-प्रवाह की गतिशीलता पर उनके प्रभाव को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है और बर्फ की चादर के बेसल थर्मल स्टेट के बारे में हमारी समझ को और पुख्ता करती हैं।
5.9 किमी लंबी झीलें- लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के जेड बॉलिंग ने कहा कि नई झीलों की लंबाई 0.2 से लेकर 5.9 किमी तक है। ये झीलें बर्फ की मोटी चादरों की अपेक्षा हल्की और पतली चादरों के नीचे पाई गई हैं। इन्हें देखकर लगता है कि ये हमेशा स्थिर रहती हैं। उनका अनुमान है कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ की सतह पिघलने से ऊंचे स्थानों पर इन झीलों से जलधाराएं बह सकती हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर झीलें अभी ऐसे इलाकों में है कि उनका पानी वहां से बाहर निकलना मुश्किल है पर गर्मी बढ़ने से इन झीलों का पानी ओवर फ्लो हो सकता है। शोधकर्ताओं को ऐसे सुराग भी मिले हैं, जिसमें दो नई उप-जलीय झीलें बहती हुई दिखाई दी हैं। ब्रिटेन की शेफील्ड यूनिवर्सिटी के स्टीफन जे लिविंगस्टोन ने कहा कि हमने जिन झीलों की पहचान की है, वे पूर्वी ग्रीनलैंड में है। इनका ऊपरी हिस्सा ज्यादातर जमा ही रहता है और उत्तरी ग्रीनलैंड की झीलें जमती-पिघले रहती हैं।