लोको पायलट इंदू बाला बताती है कि उन्होंने बहुतकनीकी संस्थान में 2009 से 2012 तक इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का कोर्स किया। उसके बाद बीटेक भी की। वर्ष 2017 में रेलवे में नौकरी लगी। 2021 में इंदू बाला की हिसार में ही शादी हुई। उनका एक साल का बेटा है।
कहते हैं जो बाहर की सुनता है, वह बिखर जाता है, जो अंदर की सुनता है वह संवर जाता है। महिलाएं आज पुरुष प्रधान क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। महिला सशक्तीकरण की दिशा में हिसार की बेटी इंदू बाला ने अपनी अलग पहचान बना ली है। वे हिसार की पहली महिला लोको पायलट बनी हैं और मालगाड़ी को दौड़ा रही हैं। वे अपने फर्ज को रात में भी निभा रही हैं।
महाबीर कॉलोनी की रहने वाली इंदू बाला अभी तक पैसेंजर ट्रेन में सहायक लोको पायलट थी। अब वह लोको पायलट बन चुकी हैं। अभी इंदू बाला को हिसार से बठिंडा, चुरू और रेवाड़ी का रूट दिया गया है। 32 साल की इंदू बाला बताती हैं कि लोको पायलट बनने के साथ अब उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। 8 अप्रैल को उनका प्रमोशन हुआ और सहायक से लोको पायलट बनीं। वह 2018 से अब तक पैंसेजर ट्रेन में सहायक लोको पायलट थीं। इंदू बाला ने बताया कि उन्होंने पहली बार 29 अप्रैल को मालगाड़ी चलाई थी।
तीन साल का किया था कोर्स
लोको पायलट इंदू बाला बताती है कि उन्होंने बहुतकनीकी संस्थान में 2009 से 2012 तक इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का कोर्स किया। उसके बाद बीटेक भी की। वर्ष 2017 में रेलवे में नौकरी लगी। 2021 में इंदू बाला की हिसार में ही शादी हुई। उनका एक साल का बेटा है। वह परिवार को संभालने के साथ-साथ बखूबी ड्यूटी भी निभा रही है।
मिल चुका डीआरएम अवाॅर्ड
इंदू बाला ने बताया कि पति, सास, ससुर का काफी सहयोग रहा। ड्यूटी के समय बेटे को दादा-दादी संभाल रहे हैं। पति कमल कुमार निजी अस्पताल में फार्मासिस्ट हैं। वह कराटे का भी प्रशिक्षण देते हैं। इतना ही नहीं, बेहतर कार्य करने और सुरक्षित संचालन के लिए वर्ष 2022 में इंदू बाला डीआरएम अवाॅर्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें कैश अवाॅर्ड भी दिया गया था।
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