बदलती लाइफस्टाइल व गलत खान-पान के चलते अब युवाओं के भी जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है। जोड़ों में दर्द होने वाली बीमारी को अर्थराइटिस कहते हैं। अर्थराइटिस कई तरह के होते हैं। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द होने के साथ-साथ जोड़ों को घुमाने, मोड़ने और हिलाने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी में मरीज की आम जिंदगी काफी परेशानियों से भर जाती है। रोजमर्रा के कामों में बहुत तकलीफ होती है। आइए जानते हैं कितने प्रकार के होते हैं अर्थराइटिस।
सोराइटिक अर्थराइटिस
इस बीमारी का अगर सही समय पर इलाज न कराया जाए तो यह घातक और लाइलाज हो जाती है। अर्थराइटिस के दर्द का यह रूप सोराइसिस के साथ प्रकट होता है। इसके अलावा अर्थराइटिस में एक और तरह की बीमारी होती है जिसका नाम है ओस्टियोसोराइसिस। इस तरह का अर्थराइटिस आनुवांशिक हो सकता है। यह उम्र बीतने के साथ प्रकट होता है। यह मूख्यतः पीठ, कमर, घुटना और पांव को प्रभावित करता है।
पोलिमायलगिया रूमेटिका
यह बीमारी 50 साल की उम्र को पार कर चुके लोगों को होती है। इस बीमारी के दौरान गर्दन, कंधा और कमर में असहनीय पीड़ा होती है और इन अंगों को घुमाने में कठिनाई होती है। अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज किया जाए तो इस बीमारी से निदान पाया जा सकता है। जबकि कई कारणों से इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है।
सिस्टेमिक लयूपस अर्थिमेटोसस
यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है जो जोड़ों के अलावा शरीर के त्वचा और अन्य रोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी बच्चा पैदा करने वाली उम्र में महिलाओं को होती है।
अर्थराइटिस के लक्षण
जोड़ों में सूजन आ जाना व जोड़ों में दर्द रहना ये सब अर्थराइटिस के लक्षण हैं। इसके अलावा जोड़ों को घुमाने व मूव करने के दौरान परेशानी होना। साथ ही जोड़ों में भारीपन आ जाना भी अर्थराइटिस के लक्षण हैं।