उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता का बीती रात को अंतिम संस्कार कर दिया गया. पुलिस पर आरोप है कि बिना परिवारवालों की मर्जी और मौजूदगी के ही पुलिस ने जबरन अंतिम संस्कार कर दिया. इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से प्रदेश की पुलिस से सफाई मांगी गई थी, जिसपर अब जवाब आया है.

महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना में रात को ढाई बजे ही अंतिम संस्कार किया गया. ऐसा क्यों? महिला आयोग इसकी निंदा करता है.
इस ट्वीट के कुछ देर बाद रेखा शर्मा ने फिर ट्वीट करते हुए कहा कि हाथरस घटना की पीड़िता के भाई ने हमारे दफ्तर में फोन किया और जानकारी दी कि उन्हें और पिता को अंतिम संस्कार वाली जगह जाने की इजाजत दी गई थी, लेकिन पीड़िता का चेहरा नहीं देखने दिया गया था.
एक वकील के द्वारा मानवाधिकार आयोग में अपील दायर की गई है कि इस पूरे मामले की जांच हो, सीआईडी या फिर एसआईटी मामले में पुलिस की लापरवाही को भी जांचे.
गौरतलब है कि इससे पहले परिवार की ओर से बयान दिया गया था कि पुलिसवालों ने उनकी बात नहीं मानी और घर में बंद करके जबरन ही अंतिम संस्कार कर दिया. हालांकि, हाथरस की पुलिस और प्रशासन ने बार-बार इसे गलत बताया.
दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने भी इस मामले में एक्शन की मांग की है और चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखते हुए जांच करवाए जाने की मांग की है. दिल्ली महिला आयोग की ओर से पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिए जाने की मांग की गई है.
इस पूरी घटना पर पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी बेटी चौथी-पांचवीं तक पढ़ी थी, घर के सारे काम में हाथ बंटाती थी. वो हमारी सबसे दुलारी बेटी थी, लेकिन अंत में उसका चेहरा नहीं देखने दिया गया. बुधवार को स्थानीय सांसद भी परिवार से मिलने पहुंचे, जहां परिजनों ने काफी नाराजगी जताई.
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