रोहतक पीजीआई में एक युवक ने लाइब्रेरी में बैठी युवती से बात करने की कोशिश की थी। युवती के मना करने पर युवक वहां से चला गया था जिसके बाद युवती ने शिकायत दी थी।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी महिला से बिना उसकी इच्छा के बातचीत शुरू करने का प्रयास भले ही उसे अप्रिय या परेशान करने वाला हो लेकिन मर्यादा भंग करने का अपराध नहीं माना जा सकता।
मामला पीजीआईएमएस रोहतक की लाइब्रेरी से जुड़ा है, जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता के पास बैठकर हाय कहा और बातचीत शुरू करने की कोशिश की। महिला ने कहा कि वह बात नहीं करना चाहती। शिकायतकर्ता के बार-बार मना करने के बाद आरोपी चला गया। पीड़िता ने बाद में पुलिस को इस घटना की सूचना दी थी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता ने अपने बयान में स्वीकार किया कि न तो उसने कोई आपत्ति दर्ज कराई थी और न ही आरोपी ने किसी प्रकार का बल प्रयोग किया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि ऐसी परिस्थितियों में मुकदमे की कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था मर्यादा भंग करने के आपराध को लागू करने के लिए महिला के खिलाफ आपराधिक बल का प्रयोग और उसकी मर्यादा भंग करने का इरादा होना आवश्यक है। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद एफआईआर व आगे की कार्यवाही को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी का कृत्य पीड़िता को परेशान करने वाला हो सकता है लेकिन यह किसी भी प्रकार से सीधे अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। अभियोजन के रिकार्ड में किसी प्रकार के आपराधिक बल के प्रयोग का उल्लेख तक नहीं है।