हरियाली तीज श्रावण मास के सबसे खूबसूरत पर्व में से एक है। इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहते हैं। हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सौभाग्यवती
महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस बार हरियाली तीज का शुभ पर्व 23 जुलाई को है।
महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस बार हरियाली तीज का शुभ पर्व 23 जुलाई को है।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज यानी श्रावण तृतीया की तिथि 22 जुलाई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 04 मिनट तक रहेगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त समय -6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक ( राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए)
हरियाली तीज व्रत विधि
हरियाली तीज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ,सुंदर और सजीले
वस्त्र धारण करें।
वस्त्र धारण करें।
उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें।
पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं।
एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सखियों की प्रतिमा भी बनाएं।
शृंगार का सामान माता पार्वती को अर्पित करें।
फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाहन करें।
माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें।
शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें।
– हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
– इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व
हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए।अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं।
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