उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में तीन साल बाद गंगा नदी की चार लॉट में उपखनिज चुगान जल्द शुरू हो सकता है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) की एक्सपर्ट एडवाइजरी कमेटी के समक्ष इस संबंध में प्रस्तुतीकरण होने से यह उम्मीद जगी है। कमेटी से हरी झंडी मिलने के बाद एमओईएफ इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी करेगा।
हरिद्वार जिले में गंगा नदी में बिशनपुर, भोगपुर, चिडिय़ापुर व श्यामपुर और गंगा की सहायक नदी रवासन प्रथम व द्वितीय के अलावा कोटावली में उपखनिज चुगान के लिए सात लॉट की लीज स्वीकृति उत्तराखंड वन विकास निगम को पूर्व में मिली थी।
2017 में इन लॉट में 3.34 लाख घन मीटर उपखनिज का चुगान हुआ। गंगा नदी में खनन को लेकर उठे विरोध के सुरों के बाद यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुंचा था। इसके बाद ट्रिब्यूनल के आदेश पर गंगा की चारों लॉट में उपखनिज चुगान का कार्य रोक दिया गया था।
दिसंबर 2018 में एनजीटी में इस मामले का निस्तारण हुआ। वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक मोनिष मलिक के अनुसार इसके बाद एनजीटी ने निर्देशानुसार निगम ने वन अनुसंधान संस्थान के गंगा व उसकी सहायक नदियों में आरबीएम (रिवर बेस्ड मटीरियल) को लेकर किए गए अध्ययन के आधार पर गंगा में उपखनिज चुगान को पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आवेदन किया।
निगम के प्रबंध निदेशक मलिक ने बताया कि बीती 31 जनवरी को एमओईएफ की एक्सपर्ट एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस संबंध में प्रस्तुतीकरण हुआ। यह प्रस्तुतीकरण भी वन अनुसंधान संस्थान की अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही तैयार किया गया।
इसमें सभी पहलुओं को समाहित किया गया। कमेटी की संस्तुतियों पर अब मंत्रालय में मंथन होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब जल्द ही गंगा की चार लॉट में उपखनिज चुगान के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी हो जाएगी। इसके बाद ही चुगान कार्य शुरू हो सकेगा।