कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले 2 महीनों से ज्यादा वक्त से चल रहा है. वहीं किसान नेता हर रोज आंदोलन को नया मोड़ देने में जुटे हैं. बहादुरगढ़ में शुक्रवार को किसान महापंचायत में संयुक्त मोर्चा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य हिस्सा ले रहे हैं. इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हिस्सा लिया.
राकेश टिकैत ने महापंचायत में बोले कि कहा गया कि पंजाब के लोग हैं, उन्हें खालिस्तानी कहा गया, फिर हरियाणा और यूपी के लोग जुड़े तो सरकार ने किसानों को छोटे बड़े में बांट रहे हैं, किसान नेताओं को IT सेल वाले गालियां दिलवा रहें हैं. राकेश टिकैत जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं, हमारे मंच और पंच वहीं है, लोगों से दिल्ली पैदल कूच करने का भी आह्वान किया है, हम आगे भी पंचायत करते रहेंगे.
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को परेड में शामिल होने आए किसानों को बहका कर लाल किला ले गए, एक युवा से शाम 7 बजे बयान दिलवाया और 13 घंटे में उसे लाल किला पहुंचा दिया, ऐसा कैसे हुआ, हम तो आज तक नहीं गए. हमने पार्लियामेंट जाने का रास्ता मांगा नहीं दिया, रिंग रोड भी जाने नहीं दिया, जो रुट दिया गया उसपर बैरिकेडिंग थी और किसान को गुमराह करके लाल किले पहुंचा दिया.
इन लोगों ने एक धर्म को बदनाम करने का काम किया, हमने तीनों कानूनों को वापस लेने की बात की, कानून से पहले ही व्यापारी का गोदाम बना दिए. सोने का व्यापार छोड़कर अनाज का व्यापार करने का तय किया गया, हम भूख पर व्यापार नहीं होने देंगे. इस महापंचायत में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए हैं. महापंचायत में महिलाओं की भी खासी भागीरदारी है. महापंचायत के बाद किसान नेता एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. किसान महापंचायत की तैयारियों में खाप के लोग गुरुवार को भी डटे रहे.
महापंचायत ने चढूनी ने कहा फसल की MSP पर खरीद की गारंटी होनी चाहिए, लिखित आश्वासन चाहिए, वो गुमराह कर रहे हैं. 17 लाख करोड़ किसानों की फसल की खरीद होनी चाहिए, लेकिन 13/14 लाख करोड़ की ही खरीद रहे हैं, हमारा घाटा है, सरकार उतना ही खरीद रही है जितना PDS में देना है.