हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन बनाना है अब हम बच्चो को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे: PM मोदी

PM मोदी शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके. ये नीति नए भारत की नींव रखेगी. पीएम ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है.

प्रधानमंत्री बोले कि आज जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी मिलेगी. कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था.

कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी. अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया गया है.

संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे सामने सवाल था कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है. क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है.

नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है. दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है. अब 10+2 को भी खत्म कर दिया गया है, हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन बनाना है लेकिन उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहें.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए, ताकि बच्चों को सीखने में आसानी होगी. अभी पांचवीं क्लास तक बच्चों को ये सुविधा मिलेगी. अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम लोगों को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे. आज बच्चों को ये मौका मिलना चाहिए कि बच्चा अपने कोर्स को फोकस करे, अगर मन ना लगे तो कोर्स में बीच में छोड़ भी सके.

कार्यक्रम का नाम Conclave on Transformational Reforms in Higher Education under National Education Policy है, इस दौरान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद रहे. साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी के सभी सदस्य भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.

देश में 34 साल के बाद नई शिक्षा नीति आई है, इसपर पीएम नरेंद्र मोदी का ये पहला सार्वजनिक भाषण है. जिसमें नई शिक्षा नीति, भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मसलों पर चर्चा की गई.

• मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय.

• पांचवीं क्लास तक के बच्चों की पढ़ाई स्थानीय भाषा में.

• पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को स्किल देने पर जोर.

• विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर नए कैंपस पर जोर.

• एमफिल बंद, 10+2 का फॉर्मूला भी बंद

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